मणिपुर में एक छत के नीचे पढ़ाई कर रहे कुकी-मैतेई:असम राइफल्स ने उखरूल में 37 छात्राओं को शेल्टर दिया

मणिपुर में कुकी और मैतेई समुदायों के बीच अब तक संघर्ष जारी है। इस बीच दोनों समुदायों के छात्रों की पढ़ाई पर असर पड़ा है। इसे देखते हुए असम राइफल्स ने मणिपुर के उखरूल में सेंटर ऑफ एजुकेशनल एक्सीलेंस शुरू किया है, जिसमें मैतेई, कुकी और नगा समुदाय की 37 छात्राओं को शेल्टर दिया है। सेना ने यह शेल्टर एक NGO के साथ मिलकर खोला है। इसका उद्देश्य है दोनों समुदायों के स्टूडेंट्स को पढ़ाई करने का मौका देना। इन 37 छात्राओं में से 22 नगा हैं, 8 मैतेई और 6 कुकी हैं। इनके अलावा एक पंगल समुदाय की स्टूडेंट भी शामिल है। उखरूल जिला चुराचांदपुर से पांच घंटे की दूरी पर है। चुराचांदपुर दोनों समुदायों के बीच हिंसा का केंद्र था। असम राइफल्स ने अपने बयान में कहा है कि सेंटर ऑफ एजुकेशनल एक्सीलेंस इन स्टूडेंट्स के लिए आशा की एक किरण जैसा है। उन्हें अपने करियर गोल को पूरा करने के लिए जो जरूरी मदद चाहिए, वह यहां दी जाएगी। ये सेंटर इस मुश्किल हालात में NIEDO और असम राइफल्स की लगातार कोशिशों का नतीजा है। छात्राएं बोलीं- हम अलग समुदायों से हैं, पर यहां फर्क महसूस नहीं होता असम राइफल्स के इस इनिशिएटिव को लेकर चुराचांदपुर की कुकी छात्रा ने कहा कि उसे असम राइफल्स की तरफ से बहुत मदद मिली है। छात्रा ने बताया कि हम इस सेंटर में सुरक्षित महसूस करते हैं क्योंकि यहां हमारे साथ कोई भेदभाव नहीं होता है। मुझे लगता है कि सिर्फ शिक्षा से ही मणिपुर के हालात सुधर सकते हैं। यहां हम 37 लड़कियां हैं और सभी अलग समुदायों से हैं। लेकिन यहां हम कोई फर्क महसूस नहीं करते हैं। हमारा सिर्फ एक ही लक्ष्य है- अपनी पढ़ाई पूरी करना और समाज को बेहतर बनाने के लिए बदलाव लाना। मैतेई समुदाय की दूसरी लड़की ने कहा कि वह यहां अपने सपने पूरे करने के लिए आई है। इस छात्रा ने बताया कि हमें एक अच्छा अवसर मिला है। कई बार मैं यहां रहते हुए अपने परिवार को मिस करती हूं, लेकिन यहां हम सभी एक परिवार बन गए हैं। मुझे भी लगता है कि अच्छी शिक्षा से हमारे समाज में सकारात्मक परिवर्तन आ सकता है। कांगपोकपी जिल भी इस हिंसा में बुरी तरह प्रभावित हुआ था। इस जिले की एक छात्रा ने बताया कि हिंसा के चलते सभी शिक्षण संस्थानों को बंद कर दिया गया था। ऐसे हालात में हम में से कोई भी अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर सकता था। हमें पढ़ने का मौका देने के लिए हम असम राइफल्स का शुक्रिया करते हैं। उखरूल की एक लड़की ने कहा कि यहां हम सभी सुरक्षित हैं और हमें अपनी पढ़ाई पूरी करने का बहुत बड़ा मौका दिया गया है। मैं नहीं जानती कि ऐसे हिंसा भरे माहौल में हम अपने समुदायों के लिए कितना योगदान दे पाएंगे, लेकिन फिलहाल हमारे लिए हालात बेहतर हैं। असम राइफल्स ने कहा- ये सेंटर स्टूडेंट्स के सपनों को हकीकत में बदलने में मदद करेगा सीनियर अधिकारियों के मुताबिक, इनमें से कई लड़कियों को अक्टूबर में हिंसा प्रभावित इलाकों से रेस्क्यू कर चुराचांदपुर में असम राइफल्स के सेंटर लाया गया था। इन्हें एयरलिफ्ट किया गया था और बुलेटप्रूफ गाड़ियों में सुरक्षित स्थानों तक लाया गया था। असम राइफल्स ने यह भी कहा कि इस एजुकेशनल सेंटर से जुड़ना इन छात्राओं और उनके पेरेंट्स की तरफ से उठाया गया बेहत साहसी कदम है। ये सेंटर इन स्टूडेंट्स के साहस को बढ़ाने और सपनों को हकीकत में बदलने में मदद करने का वादा करता है। असम राइफल्स ने बताया कि जो इंफ्रास्ट्रक्टर हमने तैयार किया है और जो फैकल्टी यहां है, वह मणिपुर में मौजूद सबसे बेहतर है और आपको भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार करने के लिए सही माहौल देने के लिए प्रतिबद्ध है। जो रूटीन हमने प्लान किया है और जो एक्टिविटीज हम करा रहे हैं, उससे इन छात्रों को अपनी जिंदगी के उद्देश्य पूरे करने में मदद करेंगे। मणिपुर में 3 मई 2023 से हिंसा जारी, अब तक 200 से ज्यादा मौतें मणिपुर में पिछले साल 3 मई से कुकी और मैतेई समुदाय के बीच आरक्षण को लेकर हिंसा चल रही है। राज्य में अब तक हुई हिंसा की घटनाओं में 200 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी हैं। 1100 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। 65 हजार से ज्यादा लोग अपना घर छोड़ चुके हैं।

मणिपुर में एक छत के नीचे पढ़ाई कर रहे कुकी-मैतेई:असम राइफल्स ने उखरूल में 37 छात्राओं को शेल्टर दिया
मणिपुर में कुकी और मैतेई समुदायों के बीच अब तक संघर्ष जारी है। इस बीच दोनों समुदायों के छात्रों की पढ़ाई पर असर पड़ा है। इसे देखते हुए असम राइफल्स ने मणिपुर के उखरूल में सेंटर ऑफ एजुकेशनल एक्सीलेंस शुरू किया है, जिसमें मैतेई, कुकी और नगा समुदाय की 37 छात्राओं को शेल्टर दिया है। सेना ने यह शेल्टर एक NGO के साथ मिलकर खोला है। इसका उद्देश्य है दोनों समुदायों के स्टूडेंट्स को पढ़ाई करने का मौका देना। इन 37 छात्राओं में से 22 नगा हैं, 8 मैतेई और 6 कुकी हैं। इनके अलावा एक पंगल समुदाय की स्टूडेंट भी शामिल है। उखरूल जिला चुराचांदपुर से पांच घंटे की दूरी पर है। चुराचांदपुर दोनों समुदायों के बीच हिंसा का केंद्र था। असम राइफल्स ने अपने बयान में कहा है कि सेंटर ऑफ एजुकेशनल एक्सीलेंस इन स्टूडेंट्स के लिए आशा की एक किरण जैसा है। उन्हें अपने करियर गोल को पूरा करने के लिए जो जरूरी मदद चाहिए, वह यहां दी जाएगी। ये सेंटर इस मुश्किल हालात में NIEDO और असम राइफल्स की लगातार कोशिशों का नतीजा है। छात्राएं बोलीं- हम अलग समुदायों से हैं, पर यहां फर्क महसूस नहीं होता असम राइफल्स के इस इनिशिएटिव को लेकर चुराचांदपुर की कुकी छात्रा ने कहा कि उसे असम राइफल्स की तरफ से बहुत मदद मिली है। छात्रा ने बताया कि हम इस सेंटर में सुरक्षित महसूस करते हैं क्योंकि यहां हमारे साथ कोई भेदभाव नहीं होता है। मुझे लगता है कि सिर्फ शिक्षा से ही मणिपुर के हालात सुधर सकते हैं। यहां हम 37 लड़कियां हैं और सभी अलग समुदायों से हैं। लेकिन यहां हम कोई फर्क महसूस नहीं करते हैं। हमारा सिर्फ एक ही लक्ष्य है- अपनी पढ़ाई पूरी करना और समाज को बेहतर बनाने के लिए बदलाव लाना। मैतेई समुदाय की दूसरी लड़की ने कहा कि वह यहां अपने सपने पूरे करने के लिए आई है। इस छात्रा ने बताया कि हमें एक अच्छा अवसर मिला है। कई बार मैं यहां रहते हुए अपने परिवार को मिस करती हूं, लेकिन यहां हम सभी एक परिवार बन गए हैं। मुझे भी लगता है कि अच्छी शिक्षा से हमारे समाज में सकारात्मक परिवर्तन आ सकता है। कांगपोकपी जिल भी इस हिंसा में बुरी तरह प्रभावित हुआ था। इस जिले की एक छात्रा ने बताया कि हिंसा के चलते सभी शिक्षण संस्थानों को बंद कर दिया गया था। ऐसे हालात में हम में से कोई भी अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर सकता था। हमें पढ़ने का मौका देने के लिए हम असम राइफल्स का शुक्रिया करते हैं। उखरूल की एक लड़की ने कहा कि यहां हम सभी सुरक्षित हैं और हमें अपनी पढ़ाई पूरी करने का बहुत बड़ा मौका दिया गया है। मैं नहीं जानती कि ऐसे हिंसा भरे माहौल में हम अपने समुदायों के लिए कितना योगदान दे पाएंगे, लेकिन फिलहाल हमारे लिए हालात बेहतर हैं। असम राइफल्स ने कहा- ये सेंटर स्टूडेंट्स के सपनों को हकीकत में बदलने में मदद करेगा सीनियर अधिकारियों के मुताबिक, इनमें से कई लड़कियों को अक्टूबर में हिंसा प्रभावित इलाकों से रेस्क्यू कर चुराचांदपुर में असम राइफल्स के सेंटर लाया गया था। इन्हें एयरलिफ्ट किया गया था और बुलेटप्रूफ गाड़ियों में सुरक्षित स्थानों तक लाया गया था। असम राइफल्स ने यह भी कहा कि इस एजुकेशनल सेंटर से जुड़ना इन छात्राओं और उनके पेरेंट्स की तरफ से उठाया गया बेहत साहसी कदम है। ये सेंटर इन स्टूडेंट्स के साहस को बढ़ाने और सपनों को हकीकत में बदलने में मदद करने का वादा करता है। असम राइफल्स ने बताया कि जो इंफ्रास्ट्रक्टर हमने तैयार किया है और जो फैकल्टी यहां है, वह मणिपुर में मौजूद सबसे बेहतर है और आपको भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार करने के लिए सही माहौल देने के लिए प्रतिबद्ध है। जो रूटीन हमने प्लान किया है और जो एक्टिविटीज हम करा रहे हैं, उससे इन छात्रों को अपनी जिंदगी के उद्देश्य पूरे करने में मदद करेंगे। मणिपुर में 3 मई 2023 से हिंसा जारी, अब तक 200 से ज्यादा मौतें मणिपुर में पिछले साल 3 मई से कुकी और मैतेई समुदाय के बीच आरक्षण को लेकर हिंसा चल रही है। राज्य में अब तक हुई हिंसा की घटनाओं में 200 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी हैं। 1100 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। 65 हजार से ज्यादा लोग अपना घर छोड़ चुके हैं।