वकीलों की रजिस्ट्रेशन फीस ₹600 से ज्यादा न हो:सुप्रीम कोर्ट का आदेश- लॉ ग्रेजुएट्स से ज्यादा चार्ज न लें राज्यों की बार काउंसिल

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि देशभर में लॉ ग्रेजुएट्स के लिए एडवोकेट के तौर पर रजिस्ट्रेशन कराने की फीस 600 रुपए से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने ये बात एक याचिका की सुनवाई के दौरान कही, जिसमें कहा गया था कि राज्यों की बार काउंसिल वकीलों के रजिस्ट्रेशन के लिए बेहताशा फीस चार्ज करती हैं। सुप्रीम कोर्ट ने ऐसी 10 याचिकाओं पर फैसला रिजर्व कर लिया है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जेबी पारदीवाला की बेंच इस मामले में सुनवाई कर रही थी। दोनों तरफ के वकीलों की दलील सुनने के बाद बेंच ने एडवोकेट्स एक्ट, 1961 के सेक्शन 24 का हवाला देते हुए कहा कि किसी भी लॉ ग्रेजुएट को वकील के तौर पर रजिस्ट्रेशन कराने के लिए 600 रुपए की फीस तय की गई है। एनरोलमेंट फीस बढ़ाने के लिए संसद को कानून में बदलाव करना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने 10 अप्रैल को केंद्र और बार काउंसिल को नोटिस जारी किया था 10 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र, बार काउंसिल और राज्यों के बार काउंसिल को नोटिस जारी कर कहा था कि याचिकाओं में जरूरी मुद्दा उठाया गया है। इन याचिकाओं में दलील दी गई थी बढ़ी हुई रजिस्ट्रेशन फीस कानूनी प्रावधान का उल्लंघन करती है और इस मामले में बार काउंसिल को दखल देना चाहिए, ताकि इसे रोका जा सके। कोर्ट ने नोटिस में कहा था कि याचिकाकर्ताओं की दलील है कि ओडिशा में एनरोलमेंट फीस 42,100 रुपए, गुजरात में 25 हजार रुपए, उत्तराखंड में 23,650 रुपए, झारखंड में 21,460 और केरल में 20,500 रुपए है। इतनी ज्यादा फीस होने की वजह से ऐसे युवा वकील अपना रजिस्ट्रेशन नहीं करा पाते हैं, जिनके पास रिर्सोस नहीं हैं। ये खबरें भी पढ़ें... 30 हफ्ते की प्रेग्नेंसी में अबॉर्शन की इजाजत:नाबालिग रेप विक्टिम की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट का आदेश, CJI बोले- यह असाधारण मामला है सुप्रीम कोर्ट ने 14 साल की रेप विक्टिम को करीब 30 हफ्ते की प्रेग्नेंसी में अबॉर्शन कराने की इजाजत दे दी है। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (22 अप्रैल) को मुंबई के लोकमान्य तिलक अस्पताल को तत्काल अबॉर्शन के लिए इंतजाम करने का आदेश दिया है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जेबी पारदीवाला की बेंच ने आदेश सुनाते हुए कहा- हम अबॉर्शन की इजाजत इसलिए दे रहे हैं, क्योंकि यह असाधारण मामला है। हर घंटा विक्टिम के लिए अहम है। पूरी खबर यहां पढ़ें... CJI बोले- नए क्रिमिनल लॉ समाज के लिए ऐतिहासिक:ये तभी सफल होंगे, जब जिन पर इन्हें लागू करने का जिम्मा है, वे इन्हें अपनाएंगे​​​​​​​ चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने तीन नए आपराधिक कानूनों को ऐतिहासिक बताया। CJI ने ये भी कहा कि भारत अपनी आपराधिक न्याय प्रणाली में अहम बदलाव के लिए तैयार है। ये बदलाव तभी सफल होंगे, जब जिन पर इन्हें लागू करने का जिम्मा है, वे इन्हें अपनाएंगे। CJI के मुताबिक, इन नए कानूनों ने आपराधिक न्याय के कानूनी ढांचे को एक नए युग में बदल दिया है। ये ऐतिहासिक इसलिए हैं, क्योंकि कोई भी कानून क्रिमिनल लॉ जैसा रोजमर्रा की जिंदगी को प्रभावित नहीं करता। पूरी खबर यहां पढ़ें...

वकीलों की रजिस्ट्रेशन फीस ₹600 से ज्यादा न हो:सुप्रीम कोर्ट का आदेश- लॉ ग्रेजुएट्स से ज्यादा चार्ज न लें राज्यों की बार काउंसिल
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि देशभर में लॉ ग्रेजुएट्स के लिए एडवोकेट के तौर पर रजिस्ट्रेशन कराने की फीस 600 रुपए से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने ये बात एक याचिका की सुनवाई के दौरान कही, जिसमें कहा गया था कि राज्यों की बार काउंसिल वकीलों के रजिस्ट्रेशन के लिए बेहताशा फीस चार्ज करती हैं। सुप्रीम कोर्ट ने ऐसी 10 याचिकाओं पर फैसला रिजर्व कर लिया है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जेबी पारदीवाला की बेंच इस मामले में सुनवाई कर रही थी। दोनों तरफ के वकीलों की दलील सुनने के बाद बेंच ने एडवोकेट्स एक्ट, 1961 के सेक्शन 24 का हवाला देते हुए कहा कि किसी भी लॉ ग्रेजुएट को वकील के तौर पर रजिस्ट्रेशन कराने के लिए 600 रुपए की फीस तय की गई है। एनरोलमेंट फीस बढ़ाने के लिए संसद को कानून में बदलाव करना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने 10 अप्रैल को केंद्र और बार काउंसिल को नोटिस जारी किया था 10 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र, बार काउंसिल और राज्यों के बार काउंसिल को नोटिस जारी कर कहा था कि याचिकाओं में जरूरी मुद्दा उठाया गया है। इन याचिकाओं में दलील दी गई थी बढ़ी हुई रजिस्ट्रेशन फीस कानूनी प्रावधान का उल्लंघन करती है और इस मामले में बार काउंसिल को दखल देना चाहिए, ताकि इसे रोका जा सके। कोर्ट ने नोटिस में कहा था कि याचिकाकर्ताओं की दलील है कि ओडिशा में एनरोलमेंट फीस 42,100 रुपए, गुजरात में 25 हजार रुपए, उत्तराखंड में 23,650 रुपए, झारखंड में 21,460 और केरल में 20,500 रुपए है। इतनी ज्यादा फीस होने की वजह से ऐसे युवा वकील अपना रजिस्ट्रेशन नहीं करा पाते हैं, जिनके पास रिर्सोस नहीं हैं। ये खबरें भी पढ़ें... 30 हफ्ते की प्रेग्नेंसी में अबॉर्शन की इजाजत:नाबालिग रेप विक्टिम की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट का आदेश, CJI बोले- यह असाधारण मामला है सुप्रीम कोर्ट ने 14 साल की रेप विक्टिम को करीब 30 हफ्ते की प्रेग्नेंसी में अबॉर्शन कराने की इजाजत दे दी है। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (22 अप्रैल) को मुंबई के लोकमान्य तिलक अस्पताल को तत्काल अबॉर्शन के लिए इंतजाम करने का आदेश दिया है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जेबी पारदीवाला की बेंच ने आदेश सुनाते हुए कहा- हम अबॉर्शन की इजाजत इसलिए दे रहे हैं, क्योंकि यह असाधारण मामला है। हर घंटा विक्टिम के लिए अहम है। पूरी खबर यहां पढ़ें... CJI बोले- नए क्रिमिनल लॉ समाज के लिए ऐतिहासिक:ये तभी सफल होंगे, जब जिन पर इन्हें लागू करने का जिम्मा है, वे इन्हें अपनाएंगे​​​​​​​ चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने तीन नए आपराधिक कानूनों को ऐतिहासिक बताया। CJI ने ये भी कहा कि भारत अपनी आपराधिक न्याय प्रणाली में अहम बदलाव के लिए तैयार है। ये बदलाव तभी सफल होंगे, जब जिन पर इन्हें लागू करने का जिम्मा है, वे इन्हें अपनाएंगे। CJI के मुताबिक, इन नए कानूनों ने आपराधिक न्याय के कानूनी ढांचे को एक नए युग में बदल दिया है। ये ऐतिहासिक इसलिए हैं, क्योंकि कोई भी कानून क्रिमिनल लॉ जैसा रोजमर्रा की जिंदगी को प्रभावित नहीं करता। पूरी खबर यहां पढ़ें...