VVPAT वेरिफिकेशन पर फैसला सुनाएगा सुप्रीम कोर्ट:दो अलग फैसले आ सकते हैं; पिछली सुनवाई पर कोर्ट ने कहा था- चुनाव कंट्रोल नहीं कर सकते

इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) के वोटों और वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) पर्चियों की 100% क्रॉस-चेकिंग की मांग पर सुप्रीम कोर्ट आज (26 अप्रैल) सुनाएगा। लाइव लॉ के मुताबिक, मामले की सुनवाई कर रहे दोनों जज- जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता दो अलग फैसला सुनाने वाले हैं। 24 अप्रैल की सुनवाई के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। 40 मिनट चली सुनवाई में जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा था कि हम मेरिट पर दोबारा सुनवाई नहीं कर रहे हैं। हम कुछ निश्चित स्पष्टीकरण चाहते हैं। हमारे कुछ सवाल थे और हमें जवाब मिल गए। फैसला सुरक्षित रख रहे हैं। अगस्त 2023 में लगाई गई थी याचिका VVPAT पर्चियों की 100% वेरिफिकेशन को लेकर एक्टिविस्ट अरुण कुमार अग्रवाल ने अगस्त 2023 में याचिका लगाई गई थी। याचिका में कहा गया कि वोटर्स को VVPAT की पर्ची फिजिकली वेरिफाई करने का मौका दिया जाना चाहिए। वोटर्स को खुद बैलट बॉक्स में पर्ची डालने की सुविधा मिलनी चाहिए। इससे चुनाव में गड़बड़ी की आशंका खत्म हो जाएगी। इस केस में याचिकाकर्ताओं की तरफ से एडवोकेट प्रशांत भूषण, गोपाल शंकरनारायण और संजय हेगड़े पैरवी कर रहे हैं। प्रशांत एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की तरफ से हैं। वहीं, चुनाव आयोग की ओर से अब तक एडवोकेट मनिंदर सिंह, अफसरों और केंद्र सरकार की ओर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता मौजूद रहे हैं। पिछली सुनवाई में कोर्ट ने EC से पूछा था- क्या वोटर्स को VVPAT पर्ची नहीं दी जा सकती इससे पहले 18 अप्रैल को जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने 5 घंटे वकीलों और चुनाव आयोग की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रखा था। पिछली सुनवाई में कोर्ट ने चुनाव आयोग से पूछा था कि क्या वोटिंग के बाद वोटर्स को VVPAT से निकली पर्ची नहीं दी जा सकती है। इस पर चुनाव आयोग ने कहा था वोटर्स को VVPAT स्लिप देने में बहुत बड़ा रिस्क है। इससे वोट की गोपनीयता से समझौता होगा और बूथ के बाहर इसका दुरुपयोग किया जा सकता है। इसका इस्तेमाल दूसरे लोग कैसे कर सकते हैं, हम नहीं कह सकते। कोर्ट ने स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए अपनाए गए कदमों के बारे में चुनाव आयोग के वकील से EVM और VVPAT की पूरी प्रक्रिया समझी। साथ ही कहा कि चुनावी प्रक्रिया की पवित्रता कायम रहनी चाहिए। शक नहीं होना चाहिए कि ये होना चाहिए था और हुआ नहीं। इसके बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया। पूरी खबर पढ़ें... 16 अप्रैल की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने भूषण से कहा था- जर्मनी के एग्जाम्पल यहां नहीं चलते 16 अप्रैल को हुई सुनवाई में एडवोकेट प्रशांत भूषण ने दलील दी कि VVPAT की स्लिप बैलट बॉक्स में डाली जाएं। जर्मनी में ऐसा ही होता है। इस पर जस्टिस दीपांकर दत्ता ने कहा कि वहां के एग्जाम्पल हमारे यहां नहीं चलते। इसके अलावा कोर्ट ने चुनाव आयोग से EVM के बनने से लेकर भंडारण और डेटा से छेड़छाड़ की आशंका तक हर चीज के बारे में बताने को कहा था। पूरी खबर पढ़ें... अभी 5 EVM के वोटों का ही VVPAT पर्चियों से मिलान फिलहाल किसी भी निर्वाचन क्षेत्र में 5 EVM के वोटों का ही VVPAT पर्चियों से मिलान होता है। याचिका में कहा गया कि चुनाव आयोग ने लगभग 24 लाख VVPAT खरीदने के लिए 5 हजार करोड़ रुपए खर्च किए हैं, लेकिन केवल 20,000 VVPAT की पर्चियों का ही वोटों से वेरिफिकेशन किया जा रहा है। भारत में VVPAT मशीन का इस्तेमाल पहली बार 2014 के आम चुनावों में किया गया था। इसे इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (ECIL) और भारत इलेक्ट्रॉनिक लिमिटेड (BEL) ने बनाया है। पहले भी सुप्रीम कोर्ट में कई बार उठा है मुद्दा 2019 के लोकसभा चुनावों से पहले, 21 विपक्षी दलों के नेताओं ने भी सभी EVM में से कम से कम 50 प्रतिशत VVPAT मशीनों की पर्चियों से वोटों के मिलान करने की मांग की थी। उस समय, चुनाव आयोग हर निर्वाचन क्षेत्र में सिर्फ एक EVM का VVPAT मशीन से मिलान करता था। 8 अप्रैल, 2019 को मिलान के लिए EVM की संख्या 1 से बढ़ाकर 5 कर दी थी। इसके बाद मई 2019 कुछ टेक्नोक्रेट्स ने सभी EVM के VVPAT से वेरिफाई करने की मांग की याचिका लगाई थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था। इसके अलावा एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स ने भी जुलाई 2023 में वोटों के मिलान की याचिका लगाई थी। इसे खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था- कभी-कभी हम चुनाव निष्पक्षता पर ज्यादा ही संदेह करने लगते हैं। ये खबरें भी पढ़ें... PM मोदी-राहुल के चुनावी भाषणों पर EC का नोटिस:भाषण में नफरत फैलाने का आरोप, भाजपा-कांग्रेस पार्टी के अध्यक्षों से 29 अप्रैल तक जवाब मांगा चुनाव आयोग (EC) ने गुरुवार को PM नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी के भाषणों पर नोटिस जारी किया। यह नोटिस आचार संहिता के उल्लंघन की शिकायतों पर लोक प्रतिनिधित्व कानून 1951 के सेक्शन 77 के तहत इश्यू किया गया है। चुनाव आयोग के पोल पैनल ने कांग्रेस और भाजपा की एक-दूसरे के खिलाफ की गई शिकायतों के आधार पर नोटिस जारी किया है। यह पहली बार है जब आयोग ने स्टार प्रचारक की जगह पार्टी अध्यक्षों को नोटिस जारी किया है। पूरी खबर यहां पढ़ें... रामदेव-बालकृष्ण ने विज्ञापन केस में दूसरा माफीनामा छपवाया:सुप्रीम कोर्ट ने कहा था- साइज ऐसा न हो कि माइक्रोस्कोप से पढ़ना पड़े पतंजलि, बाबा रामदेव और बालकृष्ण ने बुधवार (24 अप्रैल) को अखबारों में एक और माफीनामा छपवाया। इसमें बिना शर्त कोर्ट से माफी मांगी गई है। पतंजलि पर अखबारों में विज्ञापन देकर एलोपैथी के खिलाफ निगेटिव प्रचार करने का आरोप है। मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है। पतंजलि ने बुधवार को छपवाए माफीनामे में लिखा- हमसे विज्ञापनों को प्रकाशित करने में हुई गलती के लिए ईमानदारी से बिना शर्त माफी मांगते हैं। ऐसी गलती दोबारा नहीं होगी। हम सावधानी के साथ सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन करने का वचन देते हैं। पूरी खबर यहां पढ़ें...

VVPAT वेरिफिकेशन पर फैसला सुनाएगा सुप्रीम कोर्ट:दो अलग फैसले आ सकते हैं; पिछली सुनवाई पर कोर्ट ने कहा था- चुनाव कंट्रोल नहीं कर सकते
इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) के वोटों और वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) पर्चियों की 100% क्रॉस-चेकिंग की मांग पर सुप्रीम कोर्ट आज (26 अप्रैल) सुनाएगा। लाइव लॉ के मुताबिक, मामले की सुनवाई कर रहे दोनों जज- जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता दो अलग फैसला सुनाने वाले हैं। 24 अप्रैल की सुनवाई के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। 40 मिनट चली सुनवाई में जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा था कि हम मेरिट पर दोबारा सुनवाई नहीं कर रहे हैं। हम कुछ निश्चित स्पष्टीकरण चाहते हैं। हमारे कुछ सवाल थे और हमें जवाब मिल गए। फैसला सुरक्षित रख रहे हैं। अगस्त 2023 में लगाई गई थी याचिका VVPAT पर्चियों की 100% वेरिफिकेशन को लेकर एक्टिविस्ट अरुण कुमार अग्रवाल ने अगस्त 2023 में याचिका लगाई गई थी। याचिका में कहा गया कि वोटर्स को VVPAT की पर्ची फिजिकली वेरिफाई करने का मौका दिया जाना चाहिए। वोटर्स को खुद बैलट बॉक्स में पर्ची डालने की सुविधा मिलनी चाहिए। इससे चुनाव में गड़बड़ी की आशंका खत्म हो जाएगी। इस केस में याचिकाकर्ताओं की तरफ से एडवोकेट प्रशांत भूषण, गोपाल शंकरनारायण और संजय हेगड़े पैरवी कर रहे हैं। प्रशांत एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की तरफ से हैं। वहीं, चुनाव आयोग की ओर से अब तक एडवोकेट मनिंदर सिंह, अफसरों और केंद्र सरकार की ओर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता मौजूद रहे हैं। पिछली सुनवाई में कोर्ट ने EC से पूछा था- क्या वोटर्स को VVPAT पर्ची नहीं दी जा सकती इससे पहले 18 अप्रैल को जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने 5 घंटे वकीलों और चुनाव आयोग की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रखा था। पिछली सुनवाई में कोर्ट ने चुनाव आयोग से पूछा था कि क्या वोटिंग के बाद वोटर्स को VVPAT से निकली पर्ची नहीं दी जा सकती है। इस पर चुनाव आयोग ने कहा था वोटर्स को VVPAT स्लिप देने में बहुत बड़ा रिस्क है। इससे वोट की गोपनीयता से समझौता होगा और बूथ के बाहर इसका दुरुपयोग किया जा सकता है। इसका इस्तेमाल दूसरे लोग कैसे कर सकते हैं, हम नहीं कह सकते। कोर्ट ने स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए अपनाए गए कदमों के बारे में चुनाव आयोग के वकील से EVM और VVPAT की पूरी प्रक्रिया समझी। साथ ही कहा कि चुनावी प्रक्रिया की पवित्रता कायम रहनी चाहिए। शक नहीं होना चाहिए कि ये होना चाहिए था और हुआ नहीं। इसके बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया। पूरी खबर पढ़ें... 16 अप्रैल की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने भूषण से कहा था- जर्मनी के एग्जाम्पल यहां नहीं चलते 16 अप्रैल को हुई सुनवाई में एडवोकेट प्रशांत भूषण ने दलील दी कि VVPAT की स्लिप बैलट बॉक्स में डाली जाएं। जर्मनी में ऐसा ही होता है। इस पर जस्टिस दीपांकर दत्ता ने कहा कि वहां के एग्जाम्पल हमारे यहां नहीं चलते। इसके अलावा कोर्ट ने चुनाव आयोग से EVM के बनने से लेकर भंडारण और डेटा से छेड़छाड़ की आशंका तक हर चीज के बारे में बताने को कहा था। पूरी खबर पढ़ें... अभी 5 EVM के वोटों का ही VVPAT पर्चियों से मिलान फिलहाल किसी भी निर्वाचन क्षेत्र में 5 EVM के वोटों का ही VVPAT पर्चियों से मिलान होता है। याचिका में कहा गया कि चुनाव आयोग ने लगभग 24 लाख VVPAT खरीदने के लिए 5 हजार करोड़ रुपए खर्च किए हैं, लेकिन केवल 20,000 VVPAT की पर्चियों का ही वोटों से वेरिफिकेशन किया जा रहा है। भारत में VVPAT मशीन का इस्तेमाल पहली बार 2014 के आम चुनावों में किया गया था। इसे इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (ECIL) और भारत इलेक्ट्रॉनिक लिमिटेड (BEL) ने बनाया है। पहले भी सुप्रीम कोर्ट में कई बार उठा है मुद्दा 2019 के लोकसभा चुनावों से पहले, 21 विपक्षी दलों के नेताओं ने भी सभी EVM में से कम से कम 50 प्रतिशत VVPAT मशीनों की पर्चियों से वोटों के मिलान करने की मांग की थी। उस समय, चुनाव आयोग हर निर्वाचन क्षेत्र में सिर्फ एक EVM का VVPAT मशीन से मिलान करता था। 8 अप्रैल, 2019 को मिलान के लिए EVM की संख्या 1 से बढ़ाकर 5 कर दी थी। इसके बाद मई 2019 कुछ टेक्नोक्रेट्स ने सभी EVM के VVPAT से वेरिफाई करने की मांग की याचिका लगाई थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था। इसके अलावा एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स ने भी जुलाई 2023 में वोटों के मिलान की याचिका लगाई थी। इसे खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था- कभी-कभी हम चुनाव निष्पक्षता पर ज्यादा ही संदेह करने लगते हैं। ये खबरें भी पढ़ें... PM मोदी-राहुल के चुनावी भाषणों पर EC का नोटिस:भाषण में नफरत फैलाने का आरोप, भाजपा-कांग्रेस पार्टी के अध्यक्षों से 29 अप्रैल तक जवाब मांगा चुनाव आयोग (EC) ने गुरुवार को PM नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी के भाषणों पर नोटिस जारी किया। यह नोटिस आचार संहिता के उल्लंघन की शिकायतों पर लोक प्रतिनिधित्व कानून 1951 के सेक्शन 77 के तहत इश्यू किया गया है। चुनाव आयोग के पोल पैनल ने कांग्रेस और भाजपा की एक-दूसरे के खिलाफ की गई शिकायतों के आधार पर नोटिस जारी किया है। यह पहली बार है जब आयोग ने स्टार प्रचारक की जगह पार्टी अध्यक्षों को नोटिस जारी किया है। पूरी खबर यहां पढ़ें... रामदेव-बालकृष्ण ने विज्ञापन केस में दूसरा माफीनामा छपवाया:सुप्रीम कोर्ट ने कहा था- साइज ऐसा न हो कि माइक्रोस्कोप से पढ़ना पड़े पतंजलि, बाबा रामदेव और बालकृष्ण ने बुधवार (24 अप्रैल) को अखबारों में एक और माफीनामा छपवाया। इसमें बिना शर्त कोर्ट से माफी मांगी गई है। पतंजलि पर अखबारों में विज्ञापन देकर एलोपैथी के खिलाफ निगेटिव प्रचार करने का आरोप है। मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है। पतंजलि ने बुधवार को छपवाए माफीनामे में लिखा- हमसे विज्ञापनों को प्रकाशित करने में हुई गलती के लिए ईमानदारी से बिना शर्त माफी मांगते हैं। ऐसी गलती दोबारा नहीं होगी। हम सावधानी के साथ सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन करने का वचन देते हैं। पूरी खबर यहां पढ़ें...