पहले 2 फेज में 190 लोकसभा सीटों पर वोटिंग खत्म:उत्तर-पूर्व में NDA आगे, दक्षिण में कांग्रेस; अब सीधी टक्कर वाले राज्यों में भाजपा-कांग्रेस में जंग

देश में दो चरणों में 190 सीटों पर वोटिंग हो चुकी है। यानी कुल 543 में 35% सीटों के प्रत्याशियों के भाग्य EVM में बंद हो चुके हैं। इन दो चरणों में कम वोटिंग ने सियासी दलों के साथ वोटर्स को भी भ्रमित कर दिया है। चुनाव प्रचार भी पीक पर पहुंच गया है। सियासी दल एक-दूसरे को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। ऐसे में देश के पांच हिस्सों में चुनावी तस्वीर हर रोज बदल रही है। महाराष्ट्र और कर्नाटक की लड़ाई सबसे रोचक है। कम वोटिंग ने उलझाया, बड़े चेहरों से चुनाव में जान आई 80 सीटों वाले यूपी की 16 सीटों पर वोटिंग हो चुकी है। 7 मई 10 सीटों पर वोटिंग के साथ पश्चिमी यूपी कवर हो जाएगा। दो चरणों में हुई कम वोटिंग के असर को भांपने के लिए सियासी पार्टियां सीटों के उतार-चढ़ाव का आकलन कर रही हैं। बीते चुनावों का वोटिंग ट्रेंड देखें तो क्षेत्र में भाजपा-रालोद गठबंधन की सपा-कांग्रेस पर बढ़त है। हालांकि यहां राजपूतों की नाराजगी एनडीए की मुश्किलें बढ़ा सकती है। सपा सुप्रीमो अखिलेश के कन्नौज से उतरने व अमेठी-रायबरेली से राहुल-प्रियंका के नाम की चर्चा से सियासी ग्राफ में उछाल देखा जा रहा है। उधर, दिल्ली की धारा से विपरीत बहने वाले पंजाब में भाजपा, आप, अकाली व कांग्रेस अकेले लड़ रही हैं। सभी 13 सीटों पर कांटे की जंग है। भाजपा ने दूसरे दल से आए 6 लोगों को उतार मुकाबले को रोचक बना दिया है। हरियाणा में कांग्रेस ने 8 सीटों पर सधे प्रत्याशी घोषित कर भाजपा को चुनौती दी है। इनमें ब्राह्मण, पंजाबी, गुर्जर, ओबीसी, अहीर, एससी व जाट हैं। भाजपा के सामने अपना दक्षिणी दुर्ग बचाने की चुनौती तमिलनाडु की सभी 39 सीटों का भविष्य ईवीएम में कैद हो चुका है। भाजपा 3-4 सीटों पर इंडिया ब्लॉक को टक्कर दे रही है। आंध्र में लड़ाई वाईएसआरसीपी प्रमुख जगन मोहन रेड्‌डी व टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू के बीच चली आ रही अदावत पर शिफ्ट हो चुकी है। राजधानी को अमरावती से बाहर ले जाना, पूर्व सांसद वाईएस रेड्‌डी की हत्या, जगन पर हमले यहां बड़े चुनावी मुद्दे हैं। यहां फिल्में भी सियासी मुद्दों पर बन रही हैं। तेलंगाना में कांग्रेस का ग्राफ ऊपर नजर आ रहा है और उसे भाजपा से कड़ी टक्कर मिल रही है। यहां बीआरएस तीसरे नंबर पर खिसकती दिख रही है। कर्नाटक में 28 में से 14 सीटों पर मतदान हो चुका है। बीते राज्य चुनाव में 60% वोट पाकर कांग्रेस सत्ता में आई थी। 2019 में 28 में से 25 सीट जीतने वाली भाजपा ने अपना दक्षिणी गढ़ बचाने के लिए जेडीएस से हाथ मिलाया है। 2008 से यहां का ट्रेंड कहता है कि राज्य चुनाव नतीजों के बाद हुए आम चुनाव में भाजपा का ग्राफ हमेशा बढ़ा है, चाहे नतीजे जो भी रहे हों। महाराष्ट्र में ​इंडिया को बूस्ट बाकी में एनडीए बढ़त पर 2019 में प. भारत में एनडीए ने दमदार प्रदर्शन किया था। इस बार 48 सीटों वाला महाराष्ट्र "अबूझ' है। यहां 5 चरणों में वोट पड़ने हैं। यहां क्षेत्रीय दल शिवसेना-एनसीपी के टूटे हुए गुट एनडीए व इंडिया में हैं। बहुत कुछ इस पर निर्भर करेगा कि इनके परंपरागत वोटर्स किस तरफ जाते हैं। इस बीच, एक बदलाव ने एनडीए की मुश्किल बढ़ा दी है। दलित नेता प्रकाश आंबेडकर की वीबीए ने इंडिया ब्लॉक को समर्थन दिया है। 2019 में 7% वोट के साथ पार्टी एक सीट पर दूसरे व 39 सीटों पर तीसरे नंबर पर रही थी। 14 सीटों पर 8 से 25% वोट मिले थे। दूसरी तरफ, राजस्थान में शुक्रवार को 13 सीटों पर वोटिंग के साथ मतदान प्रक्रिया पूरी हो गई। अगर कांग्रेस राज्य चुनाव का प्रदर्शन दोहारती है और गठबंधन दल आरएलपी-बीटीपी के वोट ट्रांसफर कराने में सफल रहती है तो 3-4 सीटों पर टक्कर दे सकती है। वहीं, बाड़मेर में निर्दलीय प्रत्याशी रवींद्र भाटी ने भाजपा की परेशानी बढ़ा दी है। गुजरात में 7 मई को 25 सीटों पर वोट पड़ेंगे। भाजपा ने सूरत सीट निर्विरोध जीतकर मनौवैज्ञानिक बढ़त बना ली है। भाजपा के आक्रामक प्रचार से विपक्ष बैकफुट पर... प. बंगाल में अब कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले से 26 हजार शिक्षक व गैर-शिक्षण कर्मचारियों की नौकरियां खत्म होना सबसे बड़ा मुद्दा है। टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी फैसले को गैर-कानूनी बताते हुए सुुप्रीम कोर्ट पहुंच गई हैं। फिलहाल, संदेशखाली, सीएए व भ्रष्टाचार के मुद्दे पर भाजपा की घेरेबंदी से टीएमसी बैकफुट पर है। वहीं, बिहार में मुस्लिम बहुल सीमांचल व भागलपुर की 5 सीटों पर वोटिंग हुई। यहां पूर्णिया सीट पर पप्पू यादव के निर्दलीय उतरने से इंडिया ब्लॉक आंतरिक संघर्ष से जूझ रहा है। किशनगंज में एआईएमआईएम से चुनौती है। उधर, ओडिशा में 13 मई को 4 लोकसभा सीटों से शुरुआत होगी। बड़ी ताकत बनकर उभर रही भाजपा को रोकने के लिए सीएम नवीन पटनायक परंपरागत हिंजी सीट के अलावा पश्चिमी हिस्से की कांटाभंजी सीट से विस चुनाव भी लड़ रहे हैं, जहां भाजपा का ग्राफ ऊपर है। 2000 से राज्य में सत्तारुढ़ बीजद ने लोकसभा में 38% टिकट दूसरे दल के नेता को दिए हैं। कांग्रेस साख और अस्तित्व बचाने की लड़ाई लड़ रही मध्यप्रदेश की 29 में से 12 सीटों पर मतदान हो चुका है। तीसरे चरण में 9 सीटों पर वोटिंग होगी। बड़ी संख्या में कांग्रेस नेताओं और वर्कर्स को पार्टी में लाकर भाजपा ने इस चुनाव को विपक्षविहीन बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। भाजपा ने पूरी लड़ाई जीत का मार्जिन बढ़ाने और बीते चुनाव में कांग्रेस के हिस्से आई छिंदवाड़ा को जीतने में लगाई है। हालांकि कांग्रेस जातीय समीकरण और आदिवासी वोट पर फोकस करके कुछ सीटों पर भाजपा को कड़ी टक्कर देती दिख रही है। पहले चरण में छिंदवाड़ा, मंडला और सीधी में नजदीकी लड़ाई है। दूसरे चरण में सतना, आने वाले चरणों में मुरैना व राजगढ़ में कांग्रेस भाजपा को टक्कर देती नजर आ रही है। बीते चुनाव में भाजपा ने 60 फीसदी से अधिक वोट हासिल किए थे। उधर, छत्तीसगढ़ में 11 में से 4 सीटों पर वोटिंग हो चुकी है। बीते चुनाव के आंकड़े देखें तो भाजपा का पल्ला भारी है। इस बार कांग्रेस स्थानीय मुद्दे, 5 गारंटी और चेहरे के दम पर अपनी साख बचाने में लगी हुई है। भाजपा

पहले 2 फेज में 190 लोकसभा सीटों पर वोटिंग खत्म:उत्तर-पूर्व में NDA आगे, दक्षिण में कांग्रेस; अब सीधी टक्कर वाले राज्यों में भाजपा-कांग्रेस में जंग
देश में दो चरणों में 190 सीटों पर वोटिंग हो चुकी है। यानी कुल 543 में 35% सीटों के प्रत्याशियों के भाग्य EVM में बंद हो चुके हैं। इन दो चरणों में कम वोटिंग ने सियासी दलों के साथ वोटर्स को भी भ्रमित कर दिया है। चुनाव प्रचार भी पीक पर पहुंच गया है। सियासी दल एक-दूसरे को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। ऐसे में देश के पांच हिस्सों में चुनावी तस्वीर हर रोज बदल रही है। महाराष्ट्र और कर्नाटक की लड़ाई सबसे रोचक है। कम वोटिंग ने उलझाया, बड़े चेहरों से चुनाव में जान आई 80 सीटों वाले यूपी की 16 सीटों पर वोटिंग हो चुकी है। 7 मई 10 सीटों पर वोटिंग के साथ पश्चिमी यूपी कवर हो जाएगा। दो चरणों में हुई कम वोटिंग के असर को भांपने के लिए सियासी पार्टियां सीटों के उतार-चढ़ाव का आकलन कर रही हैं। बीते चुनावों का वोटिंग ट्रेंड देखें तो क्षेत्र में भाजपा-रालोद गठबंधन की सपा-कांग्रेस पर बढ़त है। हालांकि यहां राजपूतों की नाराजगी एनडीए की मुश्किलें बढ़ा सकती है। सपा सुप्रीमो अखिलेश के कन्नौज से उतरने व अमेठी-रायबरेली से राहुल-प्रियंका के नाम की चर्चा से सियासी ग्राफ में उछाल देखा जा रहा है। उधर, दिल्ली की धारा से विपरीत बहने वाले पंजाब में भाजपा, आप, अकाली व कांग्रेस अकेले लड़ रही हैं। सभी 13 सीटों पर कांटे की जंग है। भाजपा ने दूसरे दल से आए 6 लोगों को उतार मुकाबले को रोचक बना दिया है। हरियाणा में कांग्रेस ने 8 सीटों पर सधे प्रत्याशी घोषित कर भाजपा को चुनौती दी है। इनमें ब्राह्मण, पंजाबी, गुर्जर, ओबीसी, अहीर, एससी व जाट हैं। भाजपा के सामने अपना दक्षिणी दुर्ग बचाने की चुनौती तमिलनाडु की सभी 39 सीटों का भविष्य ईवीएम में कैद हो चुका है। भाजपा 3-4 सीटों पर इंडिया ब्लॉक को टक्कर दे रही है। आंध्र में लड़ाई वाईएसआरसीपी प्रमुख जगन मोहन रेड्‌डी व टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू के बीच चली आ रही अदावत पर शिफ्ट हो चुकी है। राजधानी को अमरावती से बाहर ले जाना, पूर्व सांसद वाईएस रेड्‌डी की हत्या, जगन पर हमले यहां बड़े चुनावी मुद्दे हैं। यहां फिल्में भी सियासी मुद्दों पर बन रही हैं। तेलंगाना में कांग्रेस का ग्राफ ऊपर नजर आ रहा है और उसे भाजपा से कड़ी टक्कर मिल रही है। यहां बीआरएस तीसरे नंबर पर खिसकती दिख रही है। कर्नाटक में 28 में से 14 सीटों पर मतदान हो चुका है। बीते राज्य चुनाव में 60% वोट पाकर कांग्रेस सत्ता में आई थी। 2019 में 28 में से 25 सीट जीतने वाली भाजपा ने अपना दक्षिणी गढ़ बचाने के लिए जेडीएस से हाथ मिलाया है। 2008 से यहां का ट्रेंड कहता है कि राज्य चुनाव नतीजों के बाद हुए आम चुनाव में भाजपा का ग्राफ हमेशा बढ़ा है, चाहे नतीजे जो भी रहे हों। महाराष्ट्र में ​इंडिया को बूस्ट बाकी में एनडीए बढ़त पर 2019 में प. भारत में एनडीए ने दमदार प्रदर्शन किया था। इस बार 48 सीटों वाला महाराष्ट्र "अबूझ' है। यहां 5 चरणों में वोट पड़ने हैं। यहां क्षेत्रीय दल शिवसेना-एनसीपी के टूटे हुए गुट एनडीए व इंडिया में हैं। बहुत कुछ इस पर निर्भर करेगा कि इनके परंपरागत वोटर्स किस तरफ जाते हैं। इस बीच, एक बदलाव ने एनडीए की मुश्किल बढ़ा दी है। दलित नेता प्रकाश आंबेडकर की वीबीए ने इंडिया ब्लॉक को समर्थन दिया है। 2019 में 7% वोट के साथ पार्टी एक सीट पर दूसरे व 39 सीटों पर तीसरे नंबर पर रही थी। 14 सीटों पर 8 से 25% वोट मिले थे। दूसरी तरफ, राजस्थान में शुक्रवार को 13 सीटों पर वोटिंग के साथ मतदान प्रक्रिया पूरी हो गई। अगर कांग्रेस राज्य चुनाव का प्रदर्शन दोहारती है और गठबंधन दल आरएलपी-बीटीपी के वोट ट्रांसफर कराने में सफल रहती है तो 3-4 सीटों पर टक्कर दे सकती है। वहीं, बाड़मेर में निर्दलीय प्रत्याशी रवींद्र भाटी ने भाजपा की परेशानी बढ़ा दी है। गुजरात में 7 मई को 25 सीटों पर वोट पड़ेंगे। भाजपा ने सूरत सीट निर्विरोध जीतकर मनौवैज्ञानिक बढ़त बना ली है। भाजपा के आक्रामक प्रचार से विपक्ष बैकफुट पर... प. बंगाल में अब कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले से 26 हजार शिक्षक व गैर-शिक्षण कर्मचारियों की नौकरियां खत्म होना सबसे बड़ा मुद्दा है। टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी फैसले को गैर-कानूनी बताते हुए सुुप्रीम कोर्ट पहुंच गई हैं। फिलहाल, संदेशखाली, सीएए व भ्रष्टाचार के मुद्दे पर भाजपा की घेरेबंदी से टीएमसी बैकफुट पर है। वहीं, बिहार में मुस्लिम बहुल सीमांचल व भागलपुर की 5 सीटों पर वोटिंग हुई। यहां पूर्णिया सीट पर पप्पू यादव के निर्दलीय उतरने से इंडिया ब्लॉक आंतरिक संघर्ष से जूझ रहा है। किशनगंज में एआईएमआईएम से चुनौती है। उधर, ओडिशा में 13 मई को 4 लोकसभा सीटों से शुरुआत होगी। बड़ी ताकत बनकर उभर रही भाजपा को रोकने के लिए सीएम नवीन पटनायक परंपरागत हिंजी सीट के अलावा पश्चिमी हिस्से की कांटाभंजी सीट से विस चुनाव भी लड़ रहे हैं, जहां भाजपा का ग्राफ ऊपर है। 2000 से राज्य में सत्तारुढ़ बीजद ने लोकसभा में 38% टिकट दूसरे दल के नेता को दिए हैं। कांग्रेस साख और अस्तित्व बचाने की लड़ाई लड़ रही मध्यप्रदेश की 29 में से 12 सीटों पर मतदान हो चुका है। तीसरे चरण में 9 सीटों पर वोटिंग होगी। बड़ी संख्या में कांग्रेस नेताओं और वर्कर्स को पार्टी में लाकर भाजपा ने इस चुनाव को विपक्षविहीन बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। भाजपा ने पूरी लड़ाई जीत का मार्जिन बढ़ाने और बीते चुनाव में कांग्रेस के हिस्से आई छिंदवाड़ा को जीतने में लगाई है। हालांकि कांग्रेस जातीय समीकरण और आदिवासी वोट पर फोकस करके कुछ सीटों पर भाजपा को कड़ी टक्कर देती दिख रही है। पहले चरण में छिंदवाड़ा, मंडला और सीधी में नजदीकी लड़ाई है। दूसरे चरण में सतना, आने वाले चरणों में मुरैना व राजगढ़ में कांग्रेस भाजपा को टक्कर देती नजर आ रही है। बीते चुनाव में भाजपा ने 60 फीसदी से अधिक वोट हासिल किए थे। उधर, छत्तीसगढ़ में 11 में से 4 सीटों पर वोटिंग हो चुकी है। बीते चुनाव के आंकड़े देखें तो भाजपा का पल्ला भारी है। इस बार कांग्रेस स्थानीय मुद्दे, 5 गारंटी और चेहरे के दम पर अपनी साख बचाने में लगी हुई है। भाजपा के गढ़ राजनांदगांव में कांग्रेस ने पूर्व सीएम भूपेश बघेल पर दांव खेला है।