भास्कर ओपिनियन:ईवीएम से छेड़छाड़ की आशंका हो तो इसकी जाँच हो सकेगी
भास्कर ओपिनियन:ईवीएम से छेड़छाड़ की आशंका हो तो इसकी जाँच हो सकेगी
आख़िर बेलट पेपर से चुनाव कराने और ईवीएम तथा वीवीपैट पर्ची का सौ प्रतिशत मिलान करने की याचिकाएँ ख़ारिज हो गईं। सुप्रीम कोर्ट ने यह इजाज़त ज़रूर दे दी कि अगर किसी प्रत्याशी को कोई शिकायत है या किसी धांधली की आशंका है तो वह बाक़ायदा चुनाव आयोग को चुनाव परिणाम के सात दिन के भीतर शिकायत कर सकता है। इस शिकायत पर ईवीएम मशीन की जाँच की जाएगी। किसी भी लोकसभा क्षेत्र से ऐसी शिकायत मिलने पर उसके हर विधानसभा क्षेत्र की पाँच प्रतिशत ईवीएम की जाँच की जाएगी। इस जाँच का पूरा खर्च शिकायतकर्ता कैंडिडेट ही वहन करेगा। अगर ईवीएम में गड़बड़ी पाई गई तो जाँच का खर्च कैंडिडेट को लौटा दिया जाएगा। बेलट पेपर से चुनाव कराने या पर्चियों का मिलान करने के पक्षधर लोगों के लिए यह अच्छी खबर है क्योंकि अगर किसी कैंडिडेट को कोई शंका है तो वह वोटिंग मशीन की जाँच करवा सकता है। इससे ईवीएम से छेड़छाड़ के आरोपों से मुक्ति मिलने की संभावना तो है ही, निष्पक्ष चुनाव की भावना को भी निश्चित रूप से संबल मिलेगा। शिकायत पर विधानसभा क्षेत्रों की पाँच प्रतिशत ईवीएम की जाँच के मामले में ज़रूर कुछ अव्यवस्था फैल सकती है। नेता, चाहे सत्ता पक्ष के हों या विपक्ष के, उन्हें जाँच खर्च उठाने में तो कोई परेशानी नहीं होगी। ऐसे में जो भी हारेगा वह ईवीएम की शिकायत करने लगेगा तो इसमें समय बहुत ज़ाया होगा। आख़िर चुनाव आयोग को इस जाँच में ही लगे रहना होगा। ऐसा हुआ तो अव्यवस्था फैलने से कोई नहीं रोक सकता। सुप्रीम कोर्ट या सरकार या चुनाव आयोग को इस विकार के निराकरण की दिशा में भी कुछ सोचना होगा। फ़िलहाल अगर किसी को मतगणना पर कोई आपत्ति होती है तो प्रत्याशी गणना के वक्त ही दोबारा मतगणना की माँग करता है और वो होती भी है लेकिन ईवीएम से छेड़छाड़ की शिकायत के लिए सात दिन का वक्त दिया गया है। इस जाँच के होने तक विजयी घोषित प्रत्याशी का क्या होगा? उसकी स्थिति पर क्या फ़र्क़ पड़ेगा, यह सब स्पष्ट होना अभी बाक़ी है। निश्चित रूप से इन सब बातों का कोई न कोई निदान ज़रूर होगा। बहरहाल, लोकसभा चुनाव के दूसरे दौर का मतदान हो चुका है। पहले दौर में 102 और दूसरे दौर में 88 यानी अब तक 190 लोकसभा सीटों पर मतदान हो चुका है। पहले चरण के मतदान प्रतिशत की तरह ही दूसरे चरण का प्रतिशत भी पिछली बार से लगभग नौ प्रतिशत कम है।
आख़िर बेलट पेपर से चुनाव कराने और ईवीएम तथा वीवीपैट पर्ची का सौ प्रतिशत मिलान करने की याचिकाएँ ख़ारिज हो गईं। सुप्रीम कोर्ट ने यह इजाज़त ज़रूर दे दी कि अगर किसी प्रत्याशी को कोई शिकायत है या किसी धांधली की आशंका है तो वह बाक़ायदा चुनाव आयोग को चुनाव परिणाम के सात दिन के भीतर शिकायत कर सकता है। इस शिकायत पर ईवीएम मशीन की जाँच की जाएगी। किसी भी लोकसभा क्षेत्र से ऐसी शिकायत मिलने पर उसके हर विधानसभा क्षेत्र की पाँच प्रतिशत ईवीएम की जाँच की जाएगी। इस जाँच का पूरा खर्च शिकायतकर्ता कैंडिडेट ही वहन करेगा। अगर ईवीएम में गड़बड़ी पाई गई तो जाँच का खर्च कैंडिडेट को लौटा दिया जाएगा। बेलट पेपर से चुनाव कराने या पर्चियों का मिलान करने के पक्षधर लोगों के लिए यह अच्छी खबर है क्योंकि अगर किसी कैंडिडेट को कोई शंका है तो वह वोटिंग मशीन की जाँच करवा सकता है। इससे ईवीएम से छेड़छाड़ के आरोपों से मुक्ति मिलने की संभावना तो है ही, निष्पक्ष चुनाव की भावना को भी निश्चित रूप से संबल मिलेगा। शिकायत पर विधानसभा क्षेत्रों की पाँच प्रतिशत ईवीएम की जाँच के मामले में ज़रूर कुछ अव्यवस्था फैल सकती है। नेता, चाहे सत्ता पक्ष के हों या विपक्ष के, उन्हें जाँच खर्च उठाने में तो कोई परेशानी नहीं होगी। ऐसे में जो भी हारेगा वह ईवीएम की शिकायत करने लगेगा तो इसमें समय बहुत ज़ाया होगा। आख़िर चुनाव आयोग को इस जाँच में ही लगे रहना होगा। ऐसा हुआ तो अव्यवस्था फैलने से कोई नहीं रोक सकता। सुप्रीम कोर्ट या सरकार या चुनाव आयोग को इस विकार के निराकरण की दिशा में भी कुछ सोचना होगा। फ़िलहाल अगर किसी को मतगणना पर कोई आपत्ति होती है तो प्रत्याशी गणना के वक्त ही दोबारा मतगणना की माँग करता है और वो होती भी है लेकिन ईवीएम से छेड़छाड़ की शिकायत के लिए सात दिन का वक्त दिया गया है। इस जाँच के होने तक विजयी घोषित प्रत्याशी का क्या होगा? उसकी स्थिति पर क्या फ़र्क़ पड़ेगा, यह सब स्पष्ट होना अभी बाक़ी है। निश्चित रूप से इन सब बातों का कोई न कोई निदान ज़रूर होगा। बहरहाल, लोकसभा चुनाव के दूसरे दौर का मतदान हो चुका है। पहले दौर में 102 और दूसरे दौर में 88 यानी अब तक 190 लोकसभा सीटों पर मतदान हो चुका है। पहले चरण के मतदान प्रतिशत की तरह ही दूसरे चरण का प्रतिशत भी पिछली बार से लगभग नौ प्रतिशत कम है।