मोरबी हादसा पीड़ितों को कंपनी मुआवजा देने को राजी:कलेक्टर ने हर महीने ₹12 हजार देने का सुझाव दिया था, 135 की गई थी जान

गुजरात के मोरबी में 30 अक्टूबर 2022 को एक सस्पेंशन ब्रिज गिर गया था। हादसे में 135 लोगों की मौत हो गई थी। इस त्रासदी के पीड़ितों के पुनर्वास को लेकर गुजरात हाई कोर्ट में सुनवाई चल रही है। ब्रिज की देखरेख करने वाली ओरेवा कंपनी के खिलाफ हाल ही में कोर्ट की अवमानना ​​का मामला दर्ज करने के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था। इसी नोटिस के जवाब में ओरेवा की ओर से हाईकोर्ट में शपथ पत्र दाखिल किया गया है। इसमें कहा गया है कि कंपनी पीड़ित परिवारों को हर महीने 12 हजार रुपए का मुआवजा देने को तैयार है। इस मुआवजे का सुझाव कंपनी को मोरबी कलेक्टर ने दिया है। कंपनी ने कहा कि उसने अदालत के सुझाव के अनुसार पीड़ितों की मदद लिए एक ट्रस्ट भी बनाने की पहल की है। वह कलेक्टर द्वारा सुझाए गए मुआवजे को 30 अप्रैल तक ट्रस्ट पंजीकृत बैंक खाते या कानूनी सहायता में जमा करने के लिए तैयार है। पीड़ितों को और अधिक देना आपकी जिम्मेदारी: कोर्ट कोर्ट ने कहा, आपने सार्वजनिक संपत्ति के साथ खिलवाड़ किया है। यह मासिक सहायता है, पीड़ितों के स्थायी मुआवजे को लेकर आपने क्या किया? इस त्रासदी में कंपनी की गलती है, जो माफ करने योग्य नहीं है। कंपनी को पीड़ितों के लिए कुछ और करना चाहिए, क्योंकि यह कोई साधारण दुर्घटना या दैवीय कृत्य नहीं है। कोर्ट ने कहा, यह आपकी जिम्मेदारी बनती है कि जब कंपनी ने पुल का ठेका लिया तो उसे सबसे अच्छा काम करना चाहिए था। कंपनी सभी जिम्मेदारियों में विफल रही है. आपको संदेह का लाभ नहीं मिल सकता। आपने सार्वजनिक संपत्ति के साथ खिलवाड़ किया है, पीड़ितों को और अधिक देना आपकी जिम्मेदारी है। ओरेवा ग्रुप के मालिक 14 महीने रहे जेल में इस मामले में ब्रिज का मैंटेनेंस करने वाली कंपनी ओरेवा ग्रुप के मालिक जयसुख पटेल पिछले 14 महीनों से जेल में रह चुके हैं। करीब एक महीने पहले ही उन्हें जमानत मिली है। जयसुख पटेल पर आईपीसी की धारा 304, 308, 337 और 114 आदि लगाई गई हैं। ब्रिज पर क्षमता से ज्यादा लोग, यही हादसे की वजह ब्रिज की क्षमता करीब 100 लोगों की थी, लेकिन रविवार को छुट्टी होने के चलते इस पर करीब 500 लोग जमा थे। यही हादसे की वजह बना। ब्रिज टूटने से जहां लोग गिरे, वहां 15 फीट तक पानी था। कुछ लोग तैरकर बाहर निकल आए थे। कई लोग झूले की रस्सियों पर अटके रहे थे। 140 साल से भी ज्यादा पुराना था ब्रिज करीब 765 फीट लंबा मोरबी का यह सस्पेंशन ब्रिज 140 साल से भी ज्यादा पुराना था। इस ब्रिज का उद्घाटन 20 फरवरी 1879 को मुंबई के गवर्नर रिचर्ड टेम्पल ने किया था। यह उस समय लगभग 3.5 लाख की लागत से बनकर तैयार हुआ था। उस समय इस पुल को बनाने का पूरा सामान इंग्लैंड से ही मंगाया गया था। इसके बाद इस पुल का कई बार रेनोवेशन किया जा चुका है। हादसे के दौरान दिवाली से पहले इसके मरम्मत का काम 2 करोड़ की लागत से किया गया था। ब्रिज ओपन करने के 6 दिन बाद ही गिर गया था।

मोरबी हादसा पीड़ितों को कंपनी मुआवजा देने को राजी:कलेक्टर ने हर महीने ₹12 हजार देने का सुझाव दिया था, 135 की गई थी जान
गुजरात के मोरबी में 30 अक्टूबर 2022 को एक सस्पेंशन ब्रिज गिर गया था। हादसे में 135 लोगों की मौत हो गई थी। इस त्रासदी के पीड़ितों के पुनर्वास को लेकर गुजरात हाई कोर्ट में सुनवाई चल रही है। ब्रिज की देखरेख करने वाली ओरेवा कंपनी के खिलाफ हाल ही में कोर्ट की अवमानना ​​का मामला दर्ज करने के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था। इसी नोटिस के जवाब में ओरेवा की ओर से हाईकोर्ट में शपथ पत्र दाखिल किया गया है। इसमें कहा गया है कि कंपनी पीड़ित परिवारों को हर महीने 12 हजार रुपए का मुआवजा देने को तैयार है। इस मुआवजे का सुझाव कंपनी को मोरबी कलेक्टर ने दिया है। कंपनी ने कहा कि उसने अदालत के सुझाव के अनुसार पीड़ितों की मदद लिए एक ट्रस्ट भी बनाने की पहल की है। वह कलेक्टर द्वारा सुझाए गए मुआवजे को 30 अप्रैल तक ट्रस्ट पंजीकृत बैंक खाते या कानूनी सहायता में जमा करने के लिए तैयार है। पीड़ितों को और अधिक देना आपकी जिम्मेदारी: कोर्ट कोर्ट ने कहा, आपने सार्वजनिक संपत्ति के साथ खिलवाड़ किया है। यह मासिक सहायता है, पीड़ितों के स्थायी मुआवजे को लेकर आपने क्या किया? इस त्रासदी में कंपनी की गलती है, जो माफ करने योग्य नहीं है। कंपनी को पीड़ितों के लिए कुछ और करना चाहिए, क्योंकि यह कोई साधारण दुर्घटना या दैवीय कृत्य नहीं है। कोर्ट ने कहा, यह आपकी जिम्मेदारी बनती है कि जब कंपनी ने पुल का ठेका लिया तो उसे सबसे अच्छा काम करना चाहिए था। कंपनी सभी जिम्मेदारियों में विफल रही है. आपको संदेह का लाभ नहीं मिल सकता। आपने सार्वजनिक संपत्ति के साथ खिलवाड़ किया है, पीड़ितों को और अधिक देना आपकी जिम्मेदारी है। ओरेवा ग्रुप के मालिक 14 महीने रहे जेल में इस मामले में ब्रिज का मैंटेनेंस करने वाली कंपनी ओरेवा ग्रुप के मालिक जयसुख पटेल पिछले 14 महीनों से जेल में रह चुके हैं। करीब एक महीने पहले ही उन्हें जमानत मिली है। जयसुख पटेल पर आईपीसी की धारा 304, 308, 337 और 114 आदि लगाई गई हैं। ब्रिज पर क्षमता से ज्यादा लोग, यही हादसे की वजह ब्रिज की क्षमता करीब 100 लोगों की थी, लेकिन रविवार को छुट्टी होने के चलते इस पर करीब 500 लोग जमा थे। यही हादसे की वजह बना। ब्रिज टूटने से जहां लोग गिरे, वहां 15 फीट तक पानी था। कुछ लोग तैरकर बाहर निकल आए थे। कई लोग झूले की रस्सियों पर अटके रहे थे। 140 साल से भी ज्यादा पुराना था ब्रिज करीब 765 फीट लंबा मोरबी का यह सस्पेंशन ब्रिज 140 साल से भी ज्यादा पुराना था। इस ब्रिज का उद्घाटन 20 फरवरी 1879 को मुंबई के गवर्नर रिचर्ड टेम्पल ने किया था। यह उस समय लगभग 3.5 लाख की लागत से बनकर तैयार हुआ था। उस समय इस पुल को बनाने का पूरा सामान इंग्लैंड से ही मंगाया गया था। इसके बाद इस पुल का कई बार रेनोवेशन किया जा चुका है। हादसे के दौरान दिवाली से पहले इसके मरम्मत का काम 2 करोड़ की लागत से किया गया था। ब्रिज ओपन करने के 6 दिन बाद ही गिर गया था।