अमेठी से राहुल, रायबरेली से प्रियंका का चुनाव लड़ना तय:कांग्रेस ने इंटरनल सर्वे के बाद लिया फैसला, 26 अप्रैल के बाद होगा ऐलान
अमेठी से राहुल, रायबरेली से प्रियंका का चुनाव लड़ना तय:कांग्रेस ने इंटरनल सर्वे के बाद लिया फैसला, 26 अप्रैल के बाद होगा ऐलान
अमेठी से राहुल गांधी और रायबरेली से प्रियंका गांधी का चुनाव लड़ना तय है। कांग्रेस ने इन दोनों सीटों पर इंटरनल सर्वे कराया। इसकी रिपोर्ट के आधार पर तय हुआ कि दोनों सीटों पर गांधी परिवार से ही प्रत्याशी उतारा जाएगा। राहुल वायनाड (केरल) से चुनाव लड़ रहे हैं, वहां 26 अप्रैल को वोटिंग है। इसके बाद कांग्रेस कभी भी अमेठी और रायबरेली से प्रत्याशियों का ऐलान कर देगी। दोनों सीटों पर नामांकन की आखिरी तारीख 3 मई है, यहां पांचवें फेज में 20 मई को वोटिंग होगी। कांग्रेस के सीनियर लीडर और पूर्व केंद्रीय मंत्री ने दैनिक भास्कर से इसकी पुष्टि की है। नाम न छापने की शर्त पर उन्होंने कहा- सोनिया गांधी चाहती हैं कि रायबरेली सीट से प्रियंका और अमेठी से राहुल को उतारा जाए। सहमति बन चुकी है। अमेठी-रायबरेली से राहुल और प्रियंका को उतारने की 3 वजह... 1. इंटरनल सर्वे रिपोर्ट: राहुल-प्रियंका उतरे तो जीतने के चांस ज्यादा
अमेठी और रायबरेली सीट पर कांग्रेस ने इंटरनल सर्वे कराया। यह सर्वे मार्च के पहले हफ्ते से लेकर 15 अप्रैल तक हुआ। इसमें पार्टी के स्थानीय लोगों के साथ ही निजी एजेंसी भी शामिल हुई। पंचायत स्तर पर पहुंचकर लोगों से फीडबैक लिया गया। रिपोर्ट में आया कि गांधी परिवार को लेकर पॉजिटिव रिस्पांस है। अमेठी से राहुल और रायबरेली से प्रियंका गांधी उतरती हैं तो चुनाव जीत सकती हैं। अमेठी और रायबरेली की जनता गांधी परिवार को लेकर बहुत ही संवेदनशील है। 2. अमेठी- रायबरेली दोनों पारंपरिक सीटें, सीनियर लीडर्स राजी
कांग्रेस के सीनियर नेता मानते हैं कि अमेठी और रायबरेली कांग्रेस की पारंपरिक सीट है और यहां से गांधी परिवार के सदस्य को ही चुनाव लड़ना चाहिए। अमेठी और रायबरेली से गांधी परिवार के बाहर किसी कमजोर चेहरे को उतारा तो पार्टी हार सकती है। राजनीति के जानकार कहते हैं कि अमेठी और रायबरेली को गांधी परिवार अभी नहीं छोड़ेगा। सोनिया गांधी ने रायबरेली की जनता को लिखे अपने लेटर में इसका संकेत भी दे दिया था। उन्होंने कहा था-हर मुश्किल में मुझे और मेरे परिवार को वैसे ही संभाल लेंगे जैसे अब तक संभालते आए हैं। 3) अमेठी में स्मृति को लेकर एंटी इनकंबेंसी, राहुल को फायदा
अमेठी में राहुल की वापसी की एक वजह सांसद स्मृति ईरानी को लेकर एंटी इनकंबेंसी भी है। वजह रही है कि यहां राज्य सरकार ने संजय गांधी अस्पताल को सील कर दिया था। मामला हाईकोर्ट तक पहुंचा। बाद में हाईकोर्ट ने सील खोलने के निर्देश दिए। इसे लेकर लोगों के मन में भारी नाराजगी है। इंटरनल सर्वे रिपोर्ट में भी यह बात सामने आई है कि राहुल को मैदान में उतरना चाहिए। कहा जा रहा है कि यूपी की लीडरशिप भी चाहती है की राहुल और प्रियंका ही चुनाव में उतरे। शुरुआत में दोनों राजी नहीं थे, लेकिन अब मना लिया है। फिर क्या रॉबर्ट वाड्रा अमेठी से नहीं उतरेंगे?
कांग्रेस के सीनियर लीडर कहते हैं- अमेठी से कभी भी राबर्ट वाड़्रा का नाम पार्टी लेवल पर नहीं चला। सीईसी में कभी उनके नाम की चर्चा नहीं हुई। इसकी वजह यह भी है कि रॉबर्ट वाड्रा का अमेठी और रायबरेली की जनता से वह अटैचमेंट नहीं है, जो राहुल-प्रियंका का है। उनका लोकल कनेक्ट भी नहीं है। अगर रॉबर्ट वाड्रा मैदान में उतरते हैं तो फिर भाजपा के लिए मुकाबला आसान हो सकता है। कांग्रेस कभी नहीं चाहेगी कि अमेठी की तरह रायबरेली भी हाथ से निकल जाए। 2019 चुनाव में 80 में से सिर्फ एक रायबरेली सीट पर ही कांग्रेस जीती थी। इसलिए, पार्टी फोरम में अब तक उनके नाम की कोई चर्चा नहीं हुई। दोनों सीटों पर किसी और के नाम की चर्चा नहीं
क्या रायबरेली-अमेठी से पहले किसी और का नाम था? इस सवाल पर कांग्रेस नेता कहते हैं कि नहीं। अभी तक रायबरेली और अमेठी सीट पर किसी और के नाम की चर्चा कभी नहीं हुई है। न ही किसी ऑप्शन को लेकर विचार किया गया। जब नाम तय तो फिर ऐलान में देरी क्यों? 3 पाइंट में समझिए
अगर राहुल-प्रियंका का नाम दोनों सीट से तय है तो फिर घोषणा में इतनी देरी क्यों? नामांकन में अब सिर्फ 9 दिन बचे हैं। इस पर कांग्रेस के सीनियर नेता और पॉलिटिकल एक्सपर्ट से बात की, जिसमें 3 कारण समझ में आए... 1) वायनाड की वोटिंग पर असर न हो इसलिए ऐलान में देरी
कांग्रेस के सीनियर नेता इस सवाल पर कहते हैं कि ऐसा नहीं है। वायनाड में 26 अप्रैल को वोटिंग है। इसलिए राहुल वहां बिजी हैं। वहीं, पॉलिटिकल एक्सपर्ट हर्षवर्धन का कहना है कि अगर राहुल के नाम का अमेठी से ऐलान होता है तो वायनाड में उनके पक्ष में होने वाली वोटिंग पर असर पड़ सकता है। इसलिए, संभावना है कि वहां वोटिंग के बाद ही कांग्रेस ऐलान करे। सूत्रों के मुताबिक, राहुल-प्रियंका 30 अप्रैल तक नामांकन कर सकते हैं। 2) परिवारवाद का आरोप न लगे इसलिए 2 चरणों की वोटिंग खत्म होने का इंतजार?
कांग्रेस के एक अन्य सीनियर लीडर कहते हैं- परिवारवाद से भाजपा खुद अछूती नहीं है। गृह मंत्री अमित शाह और उनके बेटे जय शाह की बात हो या फिर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और उनके बेटे पंकज सिंह की। भाजपा परिवारवाद और भ्रष्टाचार रोकने का दिखावा करती है। हमारी पार्टी प्रत्याशियों के सिलेक्शन के लिए कमेटी की राय लेती है। 3) प्रियंका ने कहा था- सभी का चुनाव लड़ना ठीक नहीं? अब क्यों?
इस सवाल पर कांग्रेस नेता कहते हैं- प्रियंका संगठन को मजबूत करने के लिए चुनावी मैदान में उतरने से परहेज कर रही थीं। अब स्थितियां अलग हैं। देश बचाने के लिए गांधी परिवार के दोनों उत्तराधिकारी को सामने आना होगा। रायबरेली 2004 से लेकर 2019 तक सोनिया गांधी के पास रहा है। इस वजह से एक बार फिर से इस सीट पर उत्तराधिकारी के तौर पर प्रियंका गांधी को चुनावी मैदान में उतारने की तैयारी है। अमेठी में स्मृति को भी संकेत मिले...एक दिन पहले कहा- 26 को राहुल आ रहे हैं
स्मृति ईरानी ने सोमवार को अमेठी में एक जनसभा में कहा- 26 अप्रैल को वायनाड में मतदान होने के बाद राहुल गांधी अमेठी को परिवार बताने आएंगे। यहां समाज में जातिवाद की आग लगाने का काम करेंगे।
अमेठी से राहुल गांधी और रायबरेली से प्रियंका गांधी का चुनाव लड़ना तय है। कांग्रेस ने इन दोनों सीटों पर इंटरनल सर्वे कराया। इसकी रिपोर्ट के आधार पर तय हुआ कि दोनों सीटों पर गांधी परिवार से ही प्रत्याशी उतारा जाएगा। राहुल वायनाड (केरल) से चुनाव लड़ रहे हैं, वहां 26 अप्रैल को वोटिंग है। इसके बाद कांग्रेस कभी भी अमेठी और रायबरेली से प्रत्याशियों का ऐलान कर देगी। दोनों सीटों पर नामांकन की आखिरी तारीख 3 मई है, यहां पांचवें फेज में 20 मई को वोटिंग होगी। कांग्रेस के सीनियर लीडर और पूर्व केंद्रीय मंत्री ने दैनिक भास्कर से इसकी पुष्टि की है। नाम न छापने की शर्त पर उन्होंने कहा- सोनिया गांधी चाहती हैं कि रायबरेली सीट से प्रियंका और अमेठी से राहुल को उतारा जाए। सहमति बन चुकी है। अमेठी-रायबरेली से राहुल और प्रियंका को उतारने की 3 वजह... 1. इंटरनल सर्वे रिपोर्ट: राहुल-प्रियंका उतरे तो जीतने के चांस ज्यादा
अमेठी और रायबरेली सीट पर कांग्रेस ने इंटरनल सर्वे कराया। यह सर्वे मार्च के पहले हफ्ते से लेकर 15 अप्रैल तक हुआ। इसमें पार्टी के स्थानीय लोगों के साथ ही निजी एजेंसी भी शामिल हुई। पंचायत स्तर पर पहुंचकर लोगों से फीडबैक लिया गया। रिपोर्ट में आया कि गांधी परिवार को लेकर पॉजिटिव रिस्पांस है। अमेठी से राहुल और रायबरेली से प्रियंका गांधी उतरती हैं तो चुनाव जीत सकती हैं। अमेठी और रायबरेली की जनता गांधी परिवार को लेकर बहुत ही संवेदनशील है। 2. अमेठी- रायबरेली दोनों पारंपरिक सीटें, सीनियर लीडर्स राजी
कांग्रेस के सीनियर नेता मानते हैं कि अमेठी और रायबरेली कांग्रेस की पारंपरिक सीट है और यहां से गांधी परिवार के सदस्य को ही चुनाव लड़ना चाहिए। अमेठी और रायबरेली से गांधी परिवार के बाहर किसी कमजोर चेहरे को उतारा तो पार्टी हार सकती है। राजनीति के जानकार कहते हैं कि अमेठी और रायबरेली को गांधी परिवार अभी नहीं छोड़ेगा। सोनिया गांधी ने रायबरेली की जनता को लिखे अपने लेटर में इसका संकेत भी दे दिया था। उन्होंने कहा था-हर मुश्किल में मुझे और मेरे परिवार को वैसे ही संभाल लेंगे जैसे अब तक संभालते आए हैं। 3) अमेठी में स्मृति को लेकर एंटी इनकंबेंसी, राहुल को फायदा
अमेठी में राहुल की वापसी की एक वजह सांसद स्मृति ईरानी को लेकर एंटी इनकंबेंसी भी है। वजह रही है कि यहां राज्य सरकार ने संजय गांधी अस्पताल को सील कर दिया था। मामला हाईकोर्ट तक पहुंचा। बाद में हाईकोर्ट ने सील खोलने के निर्देश दिए। इसे लेकर लोगों के मन में भारी नाराजगी है। इंटरनल सर्वे रिपोर्ट में भी यह बात सामने आई है कि राहुल को मैदान में उतरना चाहिए। कहा जा रहा है कि यूपी की लीडरशिप भी चाहती है की राहुल और प्रियंका ही चुनाव में उतरे। शुरुआत में दोनों राजी नहीं थे, लेकिन अब मना लिया है। फिर क्या रॉबर्ट वाड्रा अमेठी से नहीं उतरेंगे?
कांग्रेस के सीनियर लीडर कहते हैं- अमेठी से कभी भी राबर्ट वाड़्रा का नाम पार्टी लेवल पर नहीं चला। सीईसी में कभी उनके नाम की चर्चा नहीं हुई। इसकी वजह यह भी है कि रॉबर्ट वाड्रा का अमेठी और रायबरेली की जनता से वह अटैचमेंट नहीं है, जो राहुल-प्रियंका का है। उनका लोकल कनेक्ट भी नहीं है। अगर रॉबर्ट वाड्रा मैदान में उतरते हैं तो फिर भाजपा के लिए मुकाबला आसान हो सकता है। कांग्रेस कभी नहीं चाहेगी कि अमेठी की तरह रायबरेली भी हाथ से निकल जाए। 2019 चुनाव में 80 में से सिर्फ एक रायबरेली सीट पर ही कांग्रेस जीती थी। इसलिए, पार्टी फोरम में अब तक उनके नाम की कोई चर्चा नहीं हुई। दोनों सीटों पर किसी और के नाम की चर्चा नहीं
क्या रायबरेली-अमेठी से पहले किसी और का नाम था? इस सवाल पर कांग्रेस नेता कहते हैं कि नहीं। अभी तक रायबरेली और अमेठी सीट पर किसी और के नाम की चर्चा कभी नहीं हुई है। न ही किसी ऑप्शन को लेकर विचार किया गया। जब नाम तय तो फिर ऐलान में देरी क्यों? 3 पाइंट में समझिए
अगर राहुल-प्रियंका का नाम दोनों सीट से तय है तो फिर घोषणा में इतनी देरी क्यों? नामांकन में अब सिर्फ 9 दिन बचे हैं। इस पर कांग्रेस के सीनियर नेता और पॉलिटिकल एक्सपर्ट से बात की, जिसमें 3 कारण समझ में आए... 1) वायनाड की वोटिंग पर असर न हो इसलिए ऐलान में देरी
कांग्रेस के सीनियर नेता इस सवाल पर कहते हैं कि ऐसा नहीं है। वायनाड में 26 अप्रैल को वोटिंग है। इसलिए राहुल वहां बिजी हैं। वहीं, पॉलिटिकल एक्सपर्ट हर्षवर्धन का कहना है कि अगर राहुल के नाम का अमेठी से ऐलान होता है तो वायनाड में उनके पक्ष में होने वाली वोटिंग पर असर पड़ सकता है। इसलिए, संभावना है कि वहां वोटिंग के बाद ही कांग्रेस ऐलान करे। सूत्रों के मुताबिक, राहुल-प्रियंका 30 अप्रैल तक नामांकन कर सकते हैं। 2) परिवारवाद का आरोप न लगे इसलिए 2 चरणों की वोटिंग खत्म होने का इंतजार?
कांग्रेस के एक अन्य सीनियर लीडर कहते हैं- परिवारवाद से भाजपा खुद अछूती नहीं है। गृह मंत्री अमित शाह और उनके बेटे जय शाह की बात हो या फिर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और उनके बेटे पंकज सिंह की। भाजपा परिवारवाद और भ्रष्टाचार रोकने का दिखावा करती है। हमारी पार्टी प्रत्याशियों के सिलेक्शन के लिए कमेटी की राय लेती है। 3) प्रियंका ने कहा था- सभी का चुनाव लड़ना ठीक नहीं? अब क्यों?
इस सवाल पर कांग्रेस नेता कहते हैं- प्रियंका संगठन को मजबूत करने के लिए चुनावी मैदान में उतरने से परहेज कर रही थीं। अब स्थितियां अलग हैं। देश बचाने के लिए गांधी परिवार के दोनों उत्तराधिकारी को सामने आना होगा। रायबरेली 2004 से लेकर 2019 तक सोनिया गांधी के पास रहा है। इस वजह से एक बार फिर से इस सीट पर उत्तराधिकारी के तौर पर प्रियंका गांधी को चुनावी मैदान में उतारने की तैयारी है। अमेठी में स्मृति को भी संकेत मिले...एक दिन पहले कहा- 26 को राहुल आ रहे हैं
स्मृति ईरानी ने सोमवार को अमेठी में एक जनसभा में कहा- 26 अप्रैल को वायनाड में मतदान होने के बाद राहुल गांधी अमेठी को परिवार बताने आएंगे। यहां समाज में जातिवाद की आग लगाने का काम करेंगे। राहुल गांधी ने सम्राट साइकिल की जमीन हड़प रखी है। रायबरेली में भाजपा अभी वेट एंड वॉच की स्थिति में है। भाजपा किसी केंद्रीय मंत्री को चुनाव मैदान में उतार सकती है। वह कांग्रेस प्रत्याशी के नाम का ऐलान होने का इंतजार कर रही है। अब आखिर में देखिए 3 तस्वीरें...