मणिपुर में 2 CRPF जवान शहीद:कुकी उग्रवादियों ने देर रात हमला किया; 8 दिन पहले चुनाव के दौरान हिंसा हुई थी

मणिपुर के बिष्णुपुर ​​​जिले ​​के ​नारायणसेना इलाके में शुक्रवार (26 अप्रैल) देर रात कुकी उग्रवादियों के हमले में CRPF के दो जवान शहीद हो गए। दो घायल हैं। मृतक जवानों की पहचान एन साकार और अरूप सैनी के रूप में की गई है। मणिपुर पुलिस ने बताया कि कुकी समुदाय के उग्रवादियों ​​​​​ने देर रात 12:45 बजे से लेकर 2:15 बजे के दौरान मैतेई गांव की ओर फायरिंग की। उग्रवादियों ने बम भी फेंके। इस दौरान नारायणसेना में CRPF की चौकी के अंदर बम गिरने से धमाका हो गया। इसमें CRPF की 128वीं बटालियन के इंस्पेक्टर जादव दास, सब इंस्पेक्टर एन सरकार, हेड कॉन्स्टेबल अरूप सैनी और कॉन्स्टेबल आफताब हुसैन घायल हो गए। इनमें एन साकार और अरूप सैनी की मौत हो गई। बिष्णुपुर जिला इनर मणिपुर लोकसभा क्षेत्र में आता है। यहां 19 अप्रैल को पहले फेज की वोटिंग के दौरान हिंसा हुई थी। इसमें 3 लोग घायल हुए थे। इसके दो दिन बाद 22 अप्रैल को राज्य के लुवांगसनोल सेकमाई में कुकी और मैतेई गुट के बीच गोलीबारी हुई थी। दो महीने पहले भीड़ ने SP ऑफिस पर हमला किया था इससे पहले मणिपुर के चुराचांदपुर जिले में 15 फरवरी को हिंसा हुआ थी, जिसमें 2 लोगों की मौत हो गई थी। एक पुलिस कॉन्स्टेबल को सस्पेंड करने के विरोध में 300-400 लोगों की भीड़ ने देर रात SP और DC ऑफिस पर हमला कर दिया था। भीड़ ने पथराव किया। एक बस सहित कई गाड़ियों में आग लगा दी। घटना में 40 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। चुराचांदपुर कुकी-जो जनजाती बहुल क्षेत्र है। यह राजधानी इम्फाल से 65 किलोमीटर दूर है। मणिपुर हिंसा में चुराचांदपुर सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों में से एक था। राज्य में पिछले साल से हिंसा जारी, 200 से ज्यादा की मौत मणिपुर में पिछले साल 3 मई से कुकी और मैतेई समुदाय के बीच आरक्षण को लेकर हिंसा चल रही है। राज्य में अब तक हुई हिंसा की घटनाओं में 200 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी हैं। 1100 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। 65 हजार से ज्यादा लोग अपना घर छोड़ चुके हैं। 4 पॉइंट्स में जानिए क्या है मणिपुर हिंसा की वजह... मणिपुर की आबादी करीब 38 लाख है। यहां तीन प्रमुख समुदाय हैं- मैतेई, नगा और कुकी। मैतई ज्यादातर हिंदू हैं। नगा-कुकी ईसाई धर्म को मानते हैं। ST वर्ग में आते हैं। इनकी आबादी करीब 50% है। राज्य के करीब 10% इलाके में फैली इंफाल घाटी मैतेई समुदाय बहुल ही है। नगा-कुकी की आबादी करीब 34 प्रतिशत है। ये लोग राज्य के करीब 90% इलाके में रहते हैं। कैसे शुरू हुआ विवाद: मैतेई समुदाय की मांग है कि उन्हें भी जनजाति का दर्जा दिया जाए। समुदाय ने इसके लिए मणिपुर हाई कोर्ट में याचिका लगाई। समुदाय की दलील थी कि 1949 में मणिपुर का भारत में विलय हुआ था। उससे पहले उन्हें जनजाति का ही दर्जा मिला हुआ था। इसके बाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से सिफारिश की कि मैतेई को अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल किया जाए। मैतेई का तर्क क्या है: मैतेई जनजाति वाले मानते हैं कि सालों पहले उनके राजाओं ने म्यांमार से कुकी काे युद्ध लड़ने के लिए बुलाया था। उसके बाद ये स्थायी निवासी हो गए। इन लोगों ने रोजगार के लिए जंगल काटे और अफीम की खेती करने लगे। इससे मणिपुर ड्रग तस्करी का ट्राएंगल बन गया है। यह सब खुलेआम हो रहा है। इन्होंने नागा लोगों से लड़ने के लिए आर्म्स ग्रुप बनाया। नगा-कुकी विरोध में क्यों हैं: बाकी दोनों जनजाति मैतेई समुदाय को आरक्षण देने के विरोध में हैं। इनका कहना है कि राज्य की 60 में से 40 विधानसभा सीट पहले से मैतेई बहुल इंफाल घाटी में हैं। ऐसे में ST वर्ग में मैतेई को आरक्षण मिलने से उनके अधिकारों का बंटवारा होगा। सियासी समीकरण क्या हैं: मणिपुर के 60 विधायकों में से 40 विधायक मैतेई और 20 विधायक नगा-कुकी जनजाति से हैं। अब तक 12 CM में से दो ही जनजाति से रहे हैं।

मणिपुर में 2 CRPF जवान शहीद:कुकी उग्रवादियों ने देर रात हमला किया; 8 दिन पहले चुनाव के दौरान हिंसा हुई थी
मणिपुर के बिष्णुपुर ​​​जिले ​​के ​नारायणसेना इलाके में शुक्रवार (26 अप्रैल) देर रात कुकी उग्रवादियों के हमले में CRPF के दो जवान शहीद हो गए। दो घायल हैं। मृतक जवानों की पहचान एन साकार और अरूप सैनी के रूप में की गई है। मणिपुर पुलिस ने बताया कि कुकी समुदाय के उग्रवादियों ​​​​​ने देर रात 12:45 बजे से लेकर 2:15 बजे के दौरान मैतेई गांव की ओर फायरिंग की। उग्रवादियों ने बम भी फेंके। इस दौरान नारायणसेना में CRPF की चौकी के अंदर बम गिरने से धमाका हो गया। इसमें CRPF की 128वीं बटालियन के इंस्पेक्टर जादव दास, सब इंस्पेक्टर एन सरकार, हेड कॉन्स्टेबल अरूप सैनी और कॉन्स्टेबल आफताब हुसैन घायल हो गए। इनमें एन साकार और अरूप सैनी की मौत हो गई। बिष्णुपुर जिला इनर मणिपुर लोकसभा क्षेत्र में आता है। यहां 19 अप्रैल को पहले फेज की वोटिंग के दौरान हिंसा हुई थी। इसमें 3 लोग घायल हुए थे। इसके दो दिन बाद 22 अप्रैल को राज्य के लुवांगसनोल सेकमाई में कुकी और मैतेई गुट के बीच गोलीबारी हुई थी। दो महीने पहले भीड़ ने SP ऑफिस पर हमला किया था इससे पहले मणिपुर के चुराचांदपुर जिले में 15 फरवरी को हिंसा हुआ थी, जिसमें 2 लोगों की मौत हो गई थी। एक पुलिस कॉन्स्टेबल को सस्पेंड करने के विरोध में 300-400 लोगों की भीड़ ने देर रात SP और DC ऑफिस पर हमला कर दिया था। भीड़ ने पथराव किया। एक बस सहित कई गाड़ियों में आग लगा दी। घटना में 40 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। चुराचांदपुर कुकी-जो जनजाती बहुल क्षेत्र है। यह राजधानी इम्फाल से 65 किलोमीटर दूर है। मणिपुर हिंसा में चुराचांदपुर सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों में से एक था। राज्य में पिछले साल से हिंसा जारी, 200 से ज्यादा की मौत मणिपुर में पिछले साल 3 मई से कुकी और मैतेई समुदाय के बीच आरक्षण को लेकर हिंसा चल रही है। राज्य में अब तक हुई हिंसा की घटनाओं में 200 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी हैं। 1100 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। 65 हजार से ज्यादा लोग अपना घर छोड़ चुके हैं। 4 पॉइंट्स में जानिए क्या है मणिपुर हिंसा की वजह... मणिपुर की आबादी करीब 38 लाख है। यहां तीन प्रमुख समुदाय हैं- मैतेई, नगा और कुकी। मैतई ज्यादातर हिंदू हैं। नगा-कुकी ईसाई धर्म को मानते हैं। ST वर्ग में आते हैं। इनकी आबादी करीब 50% है। राज्य के करीब 10% इलाके में फैली इंफाल घाटी मैतेई समुदाय बहुल ही है। नगा-कुकी की आबादी करीब 34 प्रतिशत है। ये लोग राज्य के करीब 90% इलाके में रहते हैं। कैसे शुरू हुआ विवाद: मैतेई समुदाय की मांग है कि उन्हें भी जनजाति का दर्जा दिया जाए। समुदाय ने इसके लिए मणिपुर हाई कोर्ट में याचिका लगाई। समुदाय की दलील थी कि 1949 में मणिपुर का भारत में विलय हुआ था। उससे पहले उन्हें जनजाति का ही दर्जा मिला हुआ था। इसके बाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से सिफारिश की कि मैतेई को अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल किया जाए। मैतेई का तर्क क्या है: मैतेई जनजाति वाले मानते हैं कि सालों पहले उनके राजाओं ने म्यांमार से कुकी काे युद्ध लड़ने के लिए बुलाया था। उसके बाद ये स्थायी निवासी हो गए। इन लोगों ने रोजगार के लिए जंगल काटे और अफीम की खेती करने लगे। इससे मणिपुर ड्रग तस्करी का ट्राएंगल बन गया है। यह सब खुलेआम हो रहा है। इन्होंने नागा लोगों से लड़ने के लिए आर्म्स ग्रुप बनाया। नगा-कुकी विरोध में क्यों हैं: बाकी दोनों जनजाति मैतेई समुदाय को आरक्षण देने के विरोध में हैं। इनका कहना है कि राज्य की 60 में से 40 विधानसभा सीट पहले से मैतेई बहुल इंफाल घाटी में हैं। ऐसे में ST वर्ग में मैतेई को आरक्षण मिलने से उनके अधिकारों का बंटवारा होगा। सियासी समीकरण क्या हैं: मणिपुर के 60 विधायकों में से 40 विधायक मैतेई और 20 विधायक नगा-कुकी जनजाति से हैं। अब तक 12 CM में से दो ही जनजाति से रहे हैं।