हरियाणा से देश के पहले CJI होंगे जस्टिस सूर्यकांत:पिता जातिगत भेदभाव के खिलाफ थे, इसलिए सभी बेटों के नाम के पीछे कांत जोड़ा

हरियाणा में हिसार के गांव पेटवाड़ के रहने वाले जस्टिस सूर्यकांत देश के 53वें चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) बनेंगे। 52वें CJI भूषण आर. गवई ने केंद्र सरकार से जस्टिस सूर्यकांत को अगला प्रधान न्यायाधीश नियुक्त करने की सिफारिश की है। गवई का कार्यकाल 23 नवंबर को खत्म हो रहा है। सूर्यकांत के पदभार संभालने के बाद वह हरियाणा के पहले ऐसे व्यक्ति होंगे, जो इस पद पर पहुंचेंगे। 24 नवंबर को जस्टिस सूर्यकांत बतौर CJI शपथ ले सकते हैं। सूर्यकांत के CJI बनने पर पूरा गांव दूसरी दिवाली मनाएगा। सूर्यकांत के चीफ जस्टिस बनने की खुशी से पूरे गांव में खुशी का माहौल है। खासकर जस्टिस सूर्यकांत के परिवार में 24 नवंबर को सेलिब्रेट करने की तैयारी चल रही है। गांव में सूर्यकांत के बड़े भाई मास्टर ऋषिकांत रहते हैं। सूर्यकांत कभी कभार गांव आते हैं। हाल ही में दिवाली से एक दिन पहले वह गांव आए थे। जस्टिस सूर्यकांत के गांव स्थित आवास को सजाने का काम चल रहा है। बड़े भाई घर में रंग रोगन करवा रहे हैं। फोन पर बधाई देने वालों का सिलसिला ही नहीं टूट रहा। जस्टिस सूर्यकांत के गांव पेटवाड़ में दैनिक भास्कर एप की टीम पहुंची और परिवार, रिश्तेदारों और ग्रामीणों से बात की। बड़े भाई ऋषिकांत ने बताया कि शुरू से ही वह संयुक्त परिवार में रहे हैं। पिता और दो ताऊ सभी एक साथ रहते थे। ऋषिकांत ने बताया कि परिवार पढ़ा लिखा था, इसलिए वह जातिगत भेदभाव में विश्वास नहीं रखते थे। उनके परदादा भी शिक्षक थे, पिता संस्कृत अध्यापक थे। इसलिए चारों भाइयों ऋषिकांत, शिवकांत, देवकांत और सूर्यकांत नाम रखे गए, ताकि एक अलग पहचान समाज में बने। सूर्यकांत के बारे में उनके भाई ने ये बातें बताईं... पिता ने रामायण को हरियाणवी में लिखा था ऋषिकांत ने बताया कि पिता मदन गोपाल संस्कृत अध्यापक थे और अच्छे साहित्यकार थे। उन्होंने हरियाणवी में रामायण लिखी थी। इसके लिए हिंदी साहित्य अकादमी ने उन्हें सबसे बड़ा सूरदास पुरस्कार मिला था। इसके साथ-साथ उन्होंने 14 पुस्तकें लिखी थीं। वह पंडित लख्मीचंद पुरस्कार से भी वह सम्मानित हो चुके थे। उनकी मुख्य पुस्तकें नगरी नगरी द्वारे द्वारे, कमल और कीचड़, माटी की महक, यह कैसा हिंदुस्तान है, रागनी संग्रह चूंदड़ी प्रमुख थी। गांव में प्रतिभावान बच्चों को सम्मानित करते हैं जस्टिस सूर्यकांत भाई ने बताया कि सूर्यकांत अपने कीमती समय में से थोड़ा समय निकालकर गांव के प्रतिभावान बच्चों को सम्मानित करते हैं। परिवार का एनजीओ है- पंडित राम प्रसाद आत्माराम धर्मार्थ न्यास। इस एनजीओ में किसी से चंदा नहीं लेते। घर के सब मिलकर एनजीओ चलाते हैं और प्रतिभावान बच्चों को कैश प्राइज देकर सम्मानित करते हैं। गांव के बॉयज और गर्ल्स स्कूल में 10वीं और 12वीं के टॉप विद्यार्थियों को सूर्यकांत हर साल गांव आकर सम्मानित करते हैं। चीफ जस्टिस बनने के बाद भी वह गांव में आएंगे और इस कार्यक्रम में भाग लेंगे। सूर्यकांत की दो बेटियां बड़े भाई ने बताया कि जस्टिस सूर्यकांत की पत्नी सविता सूर्यकांत हैं और वह कॉलेज में प्रिंसिपल के पद से सेवानिवृत हुई हैं। वह इंग्लिश की प्रोफेसर रही हैं। वह प्रमोशन के बाद कॉलेज प्रिंसिपल रिटायर्ड हुईं। उनकी 2 बेटियां हैं मुग्धा और कनुप्रिया। दोनों बेटियां पढ़ाई कर रही हैं। सूर्यकांत को लेकर ग्रामीण क्या-क्या कह रहे...

हरियाणा से देश के पहले CJI होंगे जस्टिस सूर्यकांत:पिता जातिगत भेदभाव के खिलाफ थे, इसलिए सभी बेटों के नाम के पीछे कांत जोड़ा
हरियाणा में हिसार के गांव पेटवाड़ के रहने वाले जस्टिस सूर्यकांत देश के 53वें चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) बनेंगे। 52वें CJI भूषण आर. गवई ने केंद्र सरकार से जस्टिस सूर्यकांत को अगला प्रधान न्यायाधीश नियुक्त करने की सिफारिश की है। गवई का कार्यकाल 23 नवंबर को खत्म हो रहा है। सूर्यकांत के पदभार संभालने के बाद वह हरियाणा के पहले ऐसे व्यक्ति होंगे, जो इस पद पर पहुंचेंगे। 24 नवंबर को जस्टिस सूर्यकांत बतौर CJI शपथ ले सकते हैं। सूर्यकांत के CJI बनने पर पूरा गांव दूसरी दिवाली मनाएगा। सूर्यकांत के चीफ जस्टिस बनने की खुशी से पूरे गांव में खुशी का माहौल है। खासकर जस्टिस सूर्यकांत के परिवार में 24 नवंबर को सेलिब्रेट करने की तैयारी चल रही है। गांव में सूर्यकांत के बड़े भाई मास्टर ऋषिकांत रहते हैं। सूर्यकांत कभी कभार गांव आते हैं। हाल ही में दिवाली से एक दिन पहले वह गांव आए थे। जस्टिस सूर्यकांत के गांव स्थित आवास को सजाने का काम चल रहा है। बड़े भाई घर में रंग रोगन करवा रहे हैं। फोन पर बधाई देने वालों का सिलसिला ही नहीं टूट रहा। जस्टिस सूर्यकांत के गांव पेटवाड़ में दैनिक भास्कर एप की टीम पहुंची और परिवार, रिश्तेदारों और ग्रामीणों से बात की। बड़े भाई ऋषिकांत ने बताया कि शुरू से ही वह संयुक्त परिवार में रहे हैं। पिता और दो ताऊ सभी एक साथ रहते थे। ऋषिकांत ने बताया कि परिवार पढ़ा लिखा था, इसलिए वह जातिगत भेदभाव में विश्वास नहीं रखते थे। उनके परदादा भी शिक्षक थे, पिता संस्कृत अध्यापक थे। इसलिए चारों भाइयों ऋषिकांत, शिवकांत, देवकांत और सूर्यकांत नाम रखे गए, ताकि एक अलग पहचान समाज में बने। सूर्यकांत के बारे में उनके भाई ने ये बातें बताईं... पिता ने रामायण को हरियाणवी में लिखा था ऋषिकांत ने बताया कि पिता मदन गोपाल संस्कृत अध्यापक थे और अच्छे साहित्यकार थे। उन्होंने हरियाणवी में रामायण लिखी थी। इसके लिए हिंदी साहित्य अकादमी ने उन्हें सबसे बड़ा सूरदास पुरस्कार मिला था। इसके साथ-साथ उन्होंने 14 पुस्तकें लिखी थीं। वह पंडित लख्मीचंद पुरस्कार से भी वह सम्मानित हो चुके थे। उनकी मुख्य पुस्तकें नगरी नगरी द्वारे द्वारे, कमल और कीचड़, माटी की महक, यह कैसा हिंदुस्तान है, रागनी संग्रह चूंदड़ी प्रमुख थी। गांव में प्रतिभावान बच्चों को सम्मानित करते हैं जस्टिस सूर्यकांत भाई ने बताया कि सूर्यकांत अपने कीमती समय में से थोड़ा समय निकालकर गांव के प्रतिभावान बच्चों को सम्मानित करते हैं। परिवार का एनजीओ है- पंडित राम प्रसाद आत्माराम धर्मार्थ न्यास। इस एनजीओ में किसी से चंदा नहीं लेते। घर के सब मिलकर एनजीओ चलाते हैं और प्रतिभावान बच्चों को कैश प्राइज देकर सम्मानित करते हैं। गांव के बॉयज और गर्ल्स स्कूल में 10वीं और 12वीं के टॉप विद्यार्थियों को सूर्यकांत हर साल गांव आकर सम्मानित करते हैं। चीफ जस्टिस बनने के बाद भी वह गांव में आएंगे और इस कार्यक्रम में भाग लेंगे। सूर्यकांत की दो बेटियां बड़े भाई ने बताया कि जस्टिस सूर्यकांत की पत्नी सविता सूर्यकांत हैं और वह कॉलेज में प्रिंसिपल के पद से सेवानिवृत हुई हैं। वह इंग्लिश की प्रोफेसर रही हैं। वह प्रमोशन के बाद कॉलेज प्रिंसिपल रिटायर्ड हुईं। उनकी 2 बेटियां हैं मुग्धा और कनुप्रिया। दोनों बेटियां पढ़ाई कर रही हैं। सूर्यकांत को लेकर ग्रामीण क्या-क्या कह रहे...