उत्तराखंड में सड़क पर कुत्तों को खिलाया तो होगी कार्रवाई:सुप्रीम कोर्ट की सख्ती पर सरकार का एक्शन, NGO बोले-नियम गाय पर लागू क्यों नहीं?
उत्तराखंड में सड़क पर कुत्तों को खिलाया तो होगी कार्रवाई:सुप्रीम कोर्ट की सख्ती पर सरकार का एक्शन, NGO बोले-नियम गाय पर लागू क्यों नहीं?
उत्तराखंड में अगर आपने सड़कों पर कुत्तों को खाना खिलाया तो आपके ऊपर कार्रवाई हो सकती है। प्रदेश में आवारा कुत्तों को लेकर नई गाइडलाइन जारी कर दी है। इसकी शिकायत करने के लिए हेल्पलाइन नंबर भी जारी किए है। इस साल अब तक राज्य में कुत्तों ने साढ़े 24 हजार से ज्यादा लोगों को काटा है। शहरी विकास विभाग ने नगर निगमों को सार्वजनिक स्थानों पर कुत्तों के जमावड़े को रोकने के निर्देश दिए हैं, जिसमें केवल निर्धारित स्थानों पर ही खाना खिलाने की अनुमति दी है। उल्लंघन करने वालों पर कार्रवाई की जाएगी, और स्वच्छता का ध्यान रखना भी अनिवार्य कर दिया गया है। इस फैसले के बाद उत्तराखंड में कुत्तों की देखभाल करने वाले NGOs ने सरकार पर सवाल उठाए है। देहरादून में कुत्तों की देखभाल करने वाले NGO 'दून एनिमल वेलफेयर' के फाउंडर अमित पाल ने कहा कि सरकार के ये नियम गायों पर लागू क्यों नहीं होते। उन्होंने कहा कि अगर कुत्तों को खाना खिलाने पर एक्शन होगा तो सरकार इसका सॉल्यूशन भी बताए। कुत्ते बेजुबान होते उन्होंने नहीं पता कि उन्हें कहां खाना मिलने वाला है। सुप्रीम कोर्ट के एक्शन के बाद सरकार का फैसला इसी साल अगस्त में सुप्रीम कोर्ट ने अपने अहम आदेश में कहा था कि आवारा और लावारिस कुत्तों को पकड़ने के काम में बाधा डालते हुए जो लोग पकड़े जाएंगे उन पर कोर्ट के आदेश के उल्लंघन की कार्रवाई की जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि उनका आदेश पूरे देश में लागू होगा। कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश के मुख्य सचिवों को नोटिस जारी किया था। सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों के लचर रवैये पर सख्त रुख अपनाते हुए सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को 3 नवंबर को व्यक्तिगत रूप से पेश होकर जवाब देने के आदेश दिए हैं। पेश होने से पहले उत्तराखंड सरकार ये आदेश लागू करना चाहती है। ताकि सुप्रीम कोर्ट में जवाब दाखिल कर सकें। 16 सालों में कुत्तों ने 5.4 लाख से ज्यादा लोगों को काटा नेशनल हेल्थ मिशन के आंकड़ों के अनुसार, 2009 से अब तक 5.4 लाख से ज्यादा लोगों को कुत्तों ने काटा है। इस साल सितंबर तक ही 24,605 मामले सामने आ चुके हैं। अगर यही रफ्तार रही, तो साल के अंत तक यह आंकड़ा 32,000 पार कर सकता है। सबसे ज्यादा मामले हरिद्वार, देहरादून और नैनीताल जिलों से आए हैं। 2009 से अब तक हरिद्वार में 1.4 लाख, देहरादून में 1.3 लाख और नैनीताल में 88,000 लोगों को कुत्तों ने काटा है। 2025 में भी हरिद्वार में 9,269 मामले दर्ज हुए, जो सबसे ज्यादा हैं। इसके बाद ऊधम सिंह नगर (4,047), देहरादून (3,233) और नैनीताल (1,177) का नंबर आता है। पौड़ी गढ़वाल (46,269), ऊधम सिंह नगर (43,607) और टिहरी गढ़वाल (36,057) जैसे जिलों में भी कुत्तों के काटने के मामले चिंताजनक हैं। टीकाकरण के बाद कुत्तों को छोड़ेंगे देहरादून में शहरी विकास निदेशक विनोद गिरि गोस्वामी ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुपालन में नगर निकायों को विस्तृत गाइडलाइन भेज दी गई है। इसके तहत पकड़े गए कुत्तों की नसबंदी और टीकाकरण के बाद उन्हें उसी क्षेत्र में वापस छोड़ा जाएगा। वहीं, आक्रामक या रैबीज से संक्रमित कुत्तों को स्थायी रूप से शेल्टर होम में रखने का निर्देश दिया गया है। साथ ही सभी नगर निकायों को हेल्पलाइन नंबर जारी करने के निर्देश भी दिए गए हैं, ताकि नागरिक शिकायतें दर्ज करा सकें। गोद लेने की भी छूट, पशु प्रेमी कर सकेंगे आवेदन नई नीति में पशु प्रेमियों को राहत दी गई है। अब वे आवारा कुत्तों को गोद लेने के लिए संबंधित नगर निकाय में आवेदन दे सकते हैं। विभाग का कहना है कि इससे न केवल सड़कों पर कुत्तों की संख्या कम होगी, बल्कि पशु संरक्षण को भी बढ़ावा मिलेगा। नगर निकायों से मांगी गई संसाधनों की रिपोर्ट शहरी विकास विभाग ने सभी नगर निकायों से ढांचागत संसाधनों की जानकारी मांगी है, जिनमें डॉग शेल्टर की संख्या, पशु चिकित्सक, प्रशिक्षित कुत्ता पकड़ने वाले कर्मचारी, वाहन और पिंजड़े आदि शामिल हैं। इन आंकड़ों के आधार पर नीति को प्रभावी ढंग से लागू किया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट के सख्त रुख के बाद उत्तराखंड सरकार अब आवारा कुत्तों के प्रबंधन को लेकर गंभीर दिखाई दे रही है। विभाग का दावा है कि नई गाइडलाइन से न सिर्फ नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी बल्कि पशु कल्याण की दिशा में भी बड़ा कदम उठाया जाएगा। ---------------- ये खबर भी पढ़ें....
उत्तराखंड में अगर आपने सड़कों पर कुत्तों को खाना खिलाया तो आपके ऊपर कार्रवाई हो सकती है। प्रदेश में आवारा कुत्तों को लेकर नई गाइडलाइन जारी कर दी है। इसकी शिकायत करने के लिए हेल्पलाइन नंबर भी जारी किए है। इस साल अब तक राज्य में कुत्तों ने साढ़े 24 हजार से ज्यादा लोगों को काटा है। शहरी विकास विभाग ने नगर निगमों को सार्वजनिक स्थानों पर कुत्तों के जमावड़े को रोकने के निर्देश दिए हैं, जिसमें केवल निर्धारित स्थानों पर ही खाना खिलाने की अनुमति दी है। उल्लंघन करने वालों पर कार्रवाई की जाएगी, और स्वच्छता का ध्यान रखना भी अनिवार्य कर दिया गया है। इस फैसले के बाद उत्तराखंड में कुत्तों की देखभाल करने वाले NGOs ने सरकार पर सवाल उठाए है। देहरादून में कुत्तों की देखभाल करने वाले NGO 'दून एनिमल वेलफेयर' के फाउंडर अमित पाल ने कहा कि सरकार के ये नियम गायों पर लागू क्यों नहीं होते। उन्होंने कहा कि अगर कुत्तों को खाना खिलाने पर एक्शन होगा तो सरकार इसका सॉल्यूशन भी बताए। कुत्ते बेजुबान होते उन्होंने नहीं पता कि उन्हें कहां खाना मिलने वाला है। सुप्रीम कोर्ट के एक्शन के बाद सरकार का फैसला इसी साल अगस्त में सुप्रीम कोर्ट ने अपने अहम आदेश में कहा था कि आवारा और लावारिस कुत्तों को पकड़ने के काम में बाधा डालते हुए जो लोग पकड़े जाएंगे उन पर कोर्ट के आदेश के उल्लंघन की कार्रवाई की जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि उनका आदेश पूरे देश में लागू होगा। कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश के मुख्य सचिवों को नोटिस जारी किया था। सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों के लचर रवैये पर सख्त रुख अपनाते हुए सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को 3 नवंबर को व्यक्तिगत रूप से पेश होकर जवाब देने के आदेश दिए हैं। पेश होने से पहले उत्तराखंड सरकार ये आदेश लागू करना चाहती है। ताकि सुप्रीम कोर्ट में जवाब दाखिल कर सकें। 16 सालों में कुत्तों ने 5.4 लाख से ज्यादा लोगों को काटा नेशनल हेल्थ मिशन के आंकड़ों के अनुसार, 2009 से अब तक 5.4 लाख से ज्यादा लोगों को कुत्तों ने काटा है। इस साल सितंबर तक ही 24,605 मामले सामने आ चुके हैं। अगर यही रफ्तार रही, तो साल के अंत तक यह आंकड़ा 32,000 पार कर सकता है। सबसे ज्यादा मामले हरिद्वार, देहरादून और नैनीताल जिलों से आए हैं। 2009 से अब तक हरिद्वार में 1.4 लाख, देहरादून में 1.3 लाख और नैनीताल में 88,000 लोगों को कुत्तों ने काटा है। 2025 में भी हरिद्वार में 9,269 मामले दर्ज हुए, जो सबसे ज्यादा हैं। इसके बाद ऊधम सिंह नगर (4,047), देहरादून (3,233) और नैनीताल (1,177) का नंबर आता है। पौड़ी गढ़वाल (46,269), ऊधम सिंह नगर (43,607) और टिहरी गढ़वाल (36,057) जैसे जिलों में भी कुत्तों के काटने के मामले चिंताजनक हैं। टीकाकरण के बाद कुत्तों को छोड़ेंगे देहरादून में शहरी विकास निदेशक विनोद गिरि गोस्वामी ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुपालन में नगर निकायों को विस्तृत गाइडलाइन भेज दी गई है। इसके तहत पकड़े गए कुत्तों की नसबंदी और टीकाकरण के बाद उन्हें उसी क्षेत्र में वापस छोड़ा जाएगा। वहीं, आक्रामक या रैबीज से संक्रमित कुत्तों को स्थायी रूप से शेल्टर होम में रखने का निर्देश दिया गया है। साथ ही सभी नगर निकायों को हेल्पलाइन नंबर जारी करने के निर्देश भी दिए गए हैं, ताकि नागरिक शिकायतें दर्ज करा सकें। गोद लेने की भी छूट, पशु प्रेमी कर सकेंगे आवेदन नई नीति में पशु प्रेमियों को राहत दी गई है। अब वे आवारा कुत्तों को गोद लेने के लिए संबंधित नगर निकाय में आवेदन दे सकते हैं। विभाग का कहना है कि इससे न केवल सड़कों पर कुत्तों की संख्या कम होगी, बल्कि पशु संरक्षण को भी बढ़ावा मिलेगा। नगर निकायों से मांगी गई संसाधनों की रिपोर्ट शहरी विकास विभाग ने सभी नगर निकायों से ढांचागत संसाधनों की जानकारी मांगी है, जिनमें डॉग शेल्टर की संख्या, पशु चिकित्सक, प्रशिक्षित कुत्ता पकड़ने वाले कर्मचारी, वाहन और पिंजड़े आदि शामिल हैं। इन आंकड़ों के आधार पर नीति को प्रभावी ढंग से लागू किया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट के सख्त रुख के बाद उत्तराखंड सरकार अब आवारा कुत्तों के प्रबंधन को लेकर गंभीर दिखाई दे रही है। विभाग का दावा है कि नई गाइडलाइन से न सिर्फ नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी बल्कि पशु कल्याण की दिशा में भी बड़ा कदम उठाया जाएगा। ---------------- ये खबर भी पढ़ें....